सरकारी और प्राइवेट स्‍कूलों को करना होगा इन निर्देशों का पालन

झारखंड
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  • डीएसई ने शिक्षा अधिकारी और निजी विद्यालयों के प्राचार्य को लिखा पत्र

रांची। स्कूली बच्चों का क्लास छोड़कर बाहर जाने और दुर्घटना का शिकार होने के कई मामले प्रकाश में आए थे। इसे लेकर रांची सांसद संजय सेठ ने उपायुक्त को एक पत्र लिखा था। उसपर जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया था। सरकारी और प्राइवेट स्‍कूलों को कई निर्देशों का पालन करने को कहा है।

उस पत्र में सांसद ने यह बताया था कि‍ हाल के दिनों में ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है कि स्कूल कॉलेज से जुड़े विद्यार्थी, स्कूल कॉलेज की कक्षाओं को छोड़कर घूमने के लिए अन्यत्र चले जाते हैं। हादसे का शिकार होते हैं। इस दौरान कई बच्चों की जलाशयों में डूबकर मौत हुई है। बच्चे नशा खुरानी गिरोह का शिकार हो रहे हैं।

सांसद ने नाबालिग बच्चों द्वारा तेज गति से स्कूटी और बाइक चलाने के मामले का भी जिक्र किया था। इस मामले में कार्रवाई करने के लिए उपायुक्त से कहा था। सांसद ने यह भी कहा था कि ऐसे बच्चे जो स्कूल के समय में स्कूली ड्रेस में बाहर दिखते हो, उन्हें पकड़कर उसकी छानबीन की जानी चाहिए। अभिभावकों और स्कूल को इसकी सूचना देनी चाहिए।

इस पत्र के आलोक में जिला शिक्षा अधीक्षक ने क्षेत्र के विभिन्न शिक्षा पदाधिकारी, विद्यालय निरीक्षकों और सभी निजी विद्यालयों के प्राचार्य को पत्र लिखा है। उसमें सांसद के पत्र का जिक्र करते हुए कहा है कि धुर्वा डैम व बड़े जलाशयों में विद्यार्थियों के डूबने की संख्या बढ़ने, विद्यालयों के आसपास ठेले गुमटी एवं अन्य दुकानों में डंडा इटवा ने नशीली वस्तुओं की बिक्री की संख्या में वृद्धि और नाबालिग बच्चों के द्वारा तेज गति से बाइक चलाने के मद्देनजर ध्यान आकृष्ट कराया है।

सभी निजी एवं सरकारी विद्यालयों में प्रत्येक विषय की कक्षा में उपस्थिति बनाने, नशीली वस्तुओं बेचने वाले के विरुद्ध सख्ती बरतने और स्कूल कॉलेज के समय में धुर्वा डैम बड़े जलाशयों के आसपास विद्यार्थियों को जाने से रोकने से संबंधित कानूनी कार्रवाई करने का सुझाव दिया है। इस मामले में यह निर्देश दिया गया है कि वर्णित तथ्यों के आलोक में अपने स्तर से आवश्यक कार्रवाई करते हुए संबंधित प्रतिवेदन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

इस पत्र के बाद सांसद ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिला प्रशासन द्वारा इस गंभीर मामले पर पहल किया जाना सुखद है। आवश्यकता इस बात की है कि इस मामले में विद्यालय प्रबंधन व क्षेत्र से जुड़े शिक्षा विभाग के विभिन्न पदाधिकारी व निरीक्षक गंभीरतापूर्वक इसका पालन सुनिश्चित करें, ताकि नौनिहालों के जीवन की रक्षा हो सके। उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। कई परिवार और घर का भविष्य अंधकार में होने से बच सके।