रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में निदेशालय अनुसंधान के अधीन आनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग में आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित अरहर फसल शोध परियोजना केंद्र (जनजातीय योजना) संचालित है। इसके तत्वावधान में अरहर उत्पादन प्रौद्योगिकी पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन अनगड़ा प्रखंड के लालगढ़ स्थित मास संस्थान के सभागार में किया गया।
किसानों को संबोधन में कृषि प्रसार शिक्षा वैज्ञानिक डॉ बीके झा ने कहा कि देश में दलहन उत्पादन बढ़ने के बावजूद कमी है। बाजार में दाल की मांग एवं मूल्य काफी ज्यादा है। दलहनी फसल में अरहर सर्वाधिक प्रमुख फसल है। वैज्ञानिक प्रबंधन के समुचित प्रयोग से अरहर फसल की बेहतर उत्पादन एवं उत्पादकता और लाभ किसान प्राप्त कर सकते है।
परियोजना प्रभारी (अरहर फसल) डॉ नीरज कुमार ने किसानों को अरहर फसल की उन्नत प्रजाति एवं उत्पादन की उन्नत वैज्ञानिक तकनीक तथा शस्य विज्ञान से सबंधित कृषि कार्यो की जानकारी दी।
कीट वैज्ञानिक डॉ विनय कुमार ने अरहर फसल के हानिकारक कीटों तथा कीटनाशी से फसल की सुरक्षा की जानकारी दी।
पौधा रोग वैज्ञानिक डॉ एचसी लाल ने अरहर फसल पर लगने वाले प्रमुख रोग एवं उनके लक्षण और रोगनाशी दवाईयों से नियंत्रण के बारे में बताया।
कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद मास संस्था के प्रधान विजय भरत ने दिया। मौके पर अनगड़ा प्रखंड की चिल्दाग पंचायत अधीन लालगढ़, सिमलिया और सोसो गांव से 55 आदिवासी किसानों ने भाग लिया। प्रशिक्षण के बाद उन्हें रोगनाशी एवं कीटनाशी दवा और बिरसा किसान मार्गदर्शिका 2022 दिया गया।