बीएयू से विकसित तीसी फसल की तीन प्रभेदों को मिला सर्टिफिकेट

झारखंड कृषि
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रांची। हैदराबाद स्थित आईसीएआर-भारतीय तिलहन अनुसंधान निदेशालय (आईआईओआर) के सौजन्य से डॉ पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला में तीसी व कुसुम फसल कार्य समूह की वार्षिक बैठक का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि आईसीएआर (नई दिल्ली) के उपनिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ टीआर शर्मा ने किया। इस अवसर पर आईसीएआर के निर्देश पर तीसी व कुसुम फसल की हाल में विकसित एवं सेंट्रल वेरायटल रिलीज कमेटी से अनुमोदित नये किस्मों से जुड़े प्लांट ब्रीडर को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तीसी फसल के तीन प्रभेदों (प्रीयम, दिव्या एवं बिरसा तीसी-1) को सेंट्रल वेरायटल रिलीज कमेटी से अनुमोदन मिलने पर सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। इसे आईसीएआर उपनिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ टीआर शर्मा ने बीएयू के प्लांट ब्रीडर (तेलहन फसल) डॉ सोहन राम को भेंट कर सम्मानित किया।

डॉ शर्मा ने रांची केंद्र द्वारा स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी उपयुक्त तीसी के तीन उन्नत किस्म प्रीयम (बीएयू-2012-1), दिव्या (बीएयू-06-3) एवं बिरसा तीसी-1 (बीएयू-15-03) को विकसित करने में सफलता को बीएयू की उल्लेखनीय उपलब्धि बताया। 

इस सर्टिफिकेट में आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना रांची केन्द्र द्वारा तीन प्रभेदों को विकसित करने में अहम् योगदान के लिए परियोजना अन्वेंषक डॉ सोहन राम और इससे जुड़ी टीम वैज्ञानिकों डॉ परवेज आलम, डॉ सविता एक्का, डॉ एमके वर्नवाल, डॉ रबिन्द्र प्रसाद, डॉ एकलाख अहमद एवं डॉ सुनील कुमार के योगदान सराहना की गई है।

मौके पर डॉ पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ के कुलपति डॉ भीएम भाले, आईसीएआर उपनिदेशक (तेलहन व दलहन) डॉ संजीव गुप्ता, आईसीएआर उपनिदेशक (बीज) डॉ डीके यादव, आईआईओआर निदेशक डॉ एम सुजाता आदि भी मौजूद थे।

बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने राष्ट्रीय मंच से विवि द्वारा विकसित किस्मों को पहचान मिलने पर खुशी जाहिर की। वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि इन तीनों किस्मों का झारखंड की कृषि पारिस्थितिकी में किसानों के खेत में बढ़िया प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। इन किस्मों को अपनाकर किसान लाभान्वित हो रहे है। आगामी रबी फसल के आच्छादन को बढ़ाने में उपयुक्त किस्में बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।