किशोरावस्था में सही पोषण बहुत जरूरी

विचार / फीचर झारखंड सेहत
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गजाला मतीन

किशोरावस्था उम्र एक ऐसा दौर है, जिसमें शारिरिक एवं मानसिक विकास सबसे अधिक होता है। सही पोषण इस उम्र में बहुत जरूरी होता है। किशोररावस्था की लड़कियों के लिए सही पोषण इस समय महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि आगे मातृत्व जीवन में सही पोषण रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है। सही पोषण की कमी से लंबाई ना बढ़ना कमजोर हड्डी एवं मोटापा हो सकता है।

किशोरी पोषण मातृत्व की कुंजी होती है। इस उम्र के सही पोषण आगे शरीर की कमी नहीं होने देती, जो कि‍ मां बनने के बाद प्रसव के दौरान विभिन्न समस्याओं से में खून लड़ने की क्षमता देती है।

किशोरि‍यों के आहार

इसीलिए रोज के आहार के साथ किशोरि‍यों को हरी साग सब्जी मौसमी फल गुड़ एवं चना आदि अपने आहार में शामिल करना चाहिए। किशोरावस्था में प्रोटीन एवं कैलोरी युक्त खान पान के साथ कैल्शियम, फाइबर, बिटामिन एंव सबसे जरूरी आइरन को शामिल करे। इसके लिए मौसमी फल, सब्जियां, सूप, कैलोरी के लिए अनाज, रोटी, प्रोटीन के लिए सूखे मेवे, सोयाबीन, अंडा, दाल, राजमा, चना, चिकन साथ ही साबित चना, हरा मुंग, गुड़, हरी साग सब्जी, पत्तागोभी, फूलगोभी, फाल्गुनी का पत्ता एवं उससे बना हुआ सूप, अनार, नींबू वाला, संतरा आदि शामिल करें। मोटापा नहीं हो इसलिए जंक फूड बाहर के खान-पान एवं अधिक वसायुक्त भोजन का परहेज करे। विटामीन ‘सी’ अपने भोजन मे शामिल करें, जैसे नींबू, आवला, संतरा, अमरूद आदि इससे आयरन अवशेषण में मदद मिलती है। रोज अपने भोजन के साथ काफी चाय आदि का सेवन नहीं कर या कम करें, क्योंकि ये आयरन अवषोशन को बाधित कर करता है।

स्वास्थ्य मां और स्वास्थ्य बच्चा

ऐसा कहा जाता है कि जैसा नींव होगा, वैसा ही मकान। एक स्वास्थ्य समाज के लिए स्वास्थ्य बच्चे का होना जरूरी है। उसके लिए सबसे जरूरी है स्वास्थ्य मां और उनका पोषण। सही पोषण के लिए किशोरावस्था, गर्भावस्था से लेकर स्तनपान और बच्चे के विनिंग फेज से लेकर किशोरावस्था तक सही खान-पान रखना होता है। इसके लिए संतुलित आहार का होना बहुत जरूरी है।

गर्भावस्था की बात करे तो संतुलित आहार जिसमें कल एवं सब्जियां, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन (दाल, मछली, अंडा, दूध, दही, पनीर, सोयाबीन) और वसा जिसमे सूखे मेवे एवं स्वस्थ्य वसा शामिल हो। साथ ही फोलिक एसिड युक्त आहार जैसे राजमा, पालक, हरी साग, सब्जी, सरसो, मक्का, मटर, संतरा, काबुली चना, साबूत अनाज शामिल है।

कैलोरी : गर्भवती महिलाओं को 2000-2400 कैलोरी के बीच खान पान रखना चाहिए। उनको ध्यान रखना चाहिए कि अगर फैट या वजन BMI के हिसाब से ज्यादा है तो उसको नियंत्रण में रखना चाहिए।

प्रोटीन : प्रोटीन 1 ग्राम IBW लगभग 60-80 ग्राम प्रोटीन आहार में लेना चाहिए। इसके लिए दूध, दूध से बनी चीजें, पनीर, चीज, काजु, बादाम, दलहन, मछली, अंडे, आदि शामिल करें।

कैल्‍श‍ियम : गर्भवती महिलाओं के आहार में प्रतिदिन 1500-1600 मिलीग्राम कैल्शियम शामिल करें। कैल्शियम गर्भवती महिला एवं शिशु के स्वास्थ्य और मजबूत हड्डियों के लिए जरूरी है। कैल्शियम युक्त आहार के लिए दूध, पनीर, दही, छेना, दलहन, मेथी, बिट, अंजीर, तिल, बाजरा आदि शामिल हैं।

साथ ही, पानी 12-14 ग्लास पीना चाहिए। ध्यान रखें कि पानी साफ-सुथरा हो। विटामिन के लिए सब्जियां, दलहन, दूध ले।

आयोडीन भी गर्भावस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देता है। आयोडीन आपके शिशु के दिमाग के विकास के लिए आवश्यक है। इसकी कमी से बच्चे में मानसिक रोग, वजन बढ़ाना आदि हो सकता है।

गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 200-220  मिली ग्राम आयोडीन लेना चाहिए। इसके लिए अनाज, दाल, दूध, मांस, अंडा एवं आयोडीन युक्त नमक अपने खाने में शामिल करें। साथ ही दूध आदि का सेवन करें।

स्तनपान में शामिल पोषण : गर्भावस्था की तरह स्तनपान के दौरान शिशु को सभी पोषण मां के दूध से ही प्राप्त होता है। मां का स्वास्थ्य शरीर हो इसके लिए सही पोषण की जरूरत होती है।

इसके लिए मां को अपने डाइट में प्रोटीन, कैल्सियम और कार्बोहाइड्रेट, उर्जा एवं आयरन की जरूरत होती है। इसलिए इनके खान पान में दूध, पनीर, दही, चिकन, अंडा, अनाज, दाल, नट्स, मेथी के पत्ते, सोयाबीन, मसूर दाल, मूली का पता ।

जन्म से छह माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का दूध दिया जाना चाहिए पानी भी नहीं।

छह माह के बाद शिशु को स्तनपान के साथ धीरे-धीरे ठोस आहार की शुरुआत की जाती है। उबली हुई सब्जियों और फल जिनमे पालक, बीन्स, लौकी, आलू, केला, सेब तथा सूप, ओट्स, दलिया, खीरा, अंडा, चिकन अच्छे से पका कर दिया जाना चाहिए।

इसके लिए धीरे-धीरे मात्रा को बढ़ाना चाहिए। छह माह में अच्छे से गला हुआ मसला हुआ फल एवं सब्जी दिन मे दो बार दो से तीन चम्मच। सात से आठ माह में मसला हुआ अनाज दिन मे तीन बार 100-125 मिली ग्राम। नौ से ग्यारह माह में मसला हुआ तीन से चार बार। 125-175 मीली ग्राम एंव 12-24 माह में जो भी घर के बाकी लोग खाते है, वह अच्छे से मसल करके 3 -5 बार 250 मीली ग्राम तक दे सकते है।

हेल्थी लंच

पढ़ाई भी पोषण भी

इसके लिए बच्चे जो भी दोपहर का भोजन ले जाते हैं एवं जो खाना खाते है उस पर ध्यान दना चाहिए। पोस्टिक लंच एक ऐसा लंच बॉक्स होना चाहिए, जिससे बच्चे को सही पोषण मिले। यह कैल्शियम, प्रोटीन, वसा, फाइबर, बिटामीन से भरपूर हो। इसमें हम ओट्स, नट्स, आरेंज, खीरा, पनीर, मिक्स वेज, या मिक्स वेज पुलाव, बेसन का चिल्ला मूंग दाल का चिल्ला, अंडा, अंडा और हॅल ग्रेन का बना हुआ ‘चिल्ला आटे का चिल्ला, आटे का पास्ता और उसमे बहुत सारा सब्जि, रोल जिसमे पनीर, कॉन की स्टफिंग हो। साथ ही आलू डाले वेजज़ कटलेट, संतरा, सेब, खीरा, गाजर आदि दे।

इस प्रकार सारे फूड ग्रुप का सेवन करे, ताकि‍ हमारा देश और समाज स्वास्थ्य बना रहे। तिल, गुड, अनार, आदि शामिल करें।

गजाला मतीन

(लेखिका बैलेंस बाइट क्लिनिक में चीफ डायटिशियन और इंडियन डायटेटिक्स एसोसिएशन के झारखंड चैप्टर की कन्वेनर है)