स्थानीयता और ओबीसी आरक्षण पर धोखा देने की तैयारी में हेमंत सरकार :  रघुवर दास

झारखंड
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रांची। हेमंत सरकार 5 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र में बहुमत साबित करेगी। विश्वास मत हासिल करने के लिए ना तो विपक्ष ने मांग की है, न ही राज्यपाल ने निर्देश दिया है। फिर फ्लोर का इस प्रकार दुरुपयोग क्यों किया जा रहा है? इसमें लाखों रुपये खर्च होंगे। इसका बोझ राज्य की जनता पर पड़ेगा। उक्त बातें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कही।

पूर्व सीएम ने कहा कि विगत ढाई वर्षों में झामुमो कांग्रेस की सरकार ने कोयला, बालू, गिट्टी की लूट की। शराब के व्यापार में और साथ ही ट्रांसफर पोस्टिंग का धंधा चलाकर हजारों करोड़ रुपये की उगाही की है। यहां तक की मुख्यमंत्री ने अपने और अपने परिवार वालों अथवा लोगों के नाम पर लीज भी ली। इसका परिणाम है कि मुख्यमंत्री और उनके परिवार वाले तथा सहयोगी केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर है।

मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री के पद पर रहते हुए स्वयं के नाम पर माइनिंग लीज लेने के परिणाम स्वरूप आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता खतरे में है। झामुमो समेत सत्ताधारी दलों के असंतुष्ट विधायकों और राज्य की भोली भाली जनता को झांसा देने के लिए हेमंत सोरेन रोज नई नई नीतियों की घोषणा कर रहे हैं।

यह भी जानकारी मिली है कि राज्य सरकार सत्र के दौरान स्थानीय नीति के तौर पर 1932 या 1965 का खतियान लागू करने की योजना बना रही है। ज्ञात हो कि विगत विधानसभा सत्र में 23 मार्च, 2022 को हेमंत सोरेन ने स्वयं विधानसभा में यह घोषणा की थी कि 1932 के आधार पर स्थानीय नीति नहीं बनाई जा सकती है। फिर अचानक ऐसा क्यों है कि उनके मन में परिवर्तन हो गया, यह समझने वाली बात है।

वास्तव में हेमंत को ऐसी राय दी गई है कि वे नियुक्तियों के संबंध में 1932 के खतियान के आधार मूलवासियों को दिए जाने वाले किसी प्रकार के आरक्षण की घोषणा नहीं करें। सिर्फ 1932 खतियान के आधार पर स्थानीयता की घोषणा कर दें, ताकि 1932 के खतियान की घोषणा भी हो जाए। नियुक्तियों में आरक्षण की बात भी नहीं हो। इस तरह राज्य के मूलवासियों को धोखा दिया जा सके ।

पूर्व सीएम ने हेमंत सोरेन से आग्रह है कि कृपया इस तरह कि धोखा देने वाली घोषणा न करें। वास्तव में यदि वे राज्यवासियों के हित में कुछ करना चाहते हैं तो सभी प्रकार की घोषणा साथ में ही करें।

विगत भाजपा की सरकार में मैंने उच्च न्यायालय के स्थानीय नीति के विषय पर दिए गए निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए राज्य की वर्ग तीन तथा चार की सभी नियुक्तियों को राज्य के स्थानीय अथवा मूलवासियों के लिए आरक्षित किया था। हजारों की संख्या में उस प्रकार नियुक्तियां भी की गई। परंतु दुर्भाग्य का विषय है कि झामुमो कांग्रेस सरकार न्यायालय के समक्ष उन लाभकारी नीतियों को बचा पाने में असफल रही। अब उससे भी बढ़कर 1932 के खतियान का धोखा देने की तैयारी कर रही है।

अगर 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति निर्धारित करने की सोच लिए हैं तो बहुत अच्छी बात है परंतु साथ में यह भी कृपया स्पष्ट कर दीजिए कि इसका लाभ किस प्रकार से राज्य के मूलवासियों को देंगे।

राज्य के पिछड़े वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण की प्रतिशत में वृद्धि की घोषणा की भी बात की जा रही है, परंतु मुझे इस मामले में भी राज्य सरकार की नियत पर गंभीर संदेह है। हमारी सरकार ने आरक्षण देने के लिए सर्वे का कार्य शुरू कराया था जो आपकी सरकार ने बंद करा दिया बिना सर्वे के आरक्षण कैसे दिया जा सकेगा। मेरे कार्यकाल में ही पिछड़ा वर्ग आयोग को उक्त संबंध में आंकड़ा एकत्रित करने का आग्रह किया गया था और मेरी जानकारी में पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी सिफारिश भी वर्तमान सरकार को काफी पहले ही सौंप दी है परंतु वर्तमान सरकार के द्वारा विगत ढाई वर्षों में पिछड़े वर्गों को दिए जाने वाले आरक्षण के प्रतिशत में बढ़ोतरी के लिए अन्य अनिवार्य प्रक्रिया नहीं पूरी की गई है।

अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इंदिरा साहनी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए न्याय निर्णय और 50% की सीमा का किस प्रकार से निराकरण किया गया है। तो क्या इस मामले में भी झामुमो कांग्रेस की सरकार राज्य के बहुसंख्यक पिछड़ा वर्गों को लॉलीपॉप दिखाने का काम करेगी। क्या यह भी एक चुनावी घोषणा के समान है कि जब कुर्सी जाने को बारी आई तो जबरदस्ती कागजी घोषणा की जा रही है।