सूखे की समीक्षा : CM ने मनरेगा के तहत कच्चे कार्यों पर लगी रोक हटाने का दिया निर्देश

झारखंड कृषि मुख्य समाचार
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  • दो हजार से ढाई हजार करोड़ तक की योजना बनाने के दिए आदेश
  • रोजगार सृजन के लिए हर गांव में पांच-पांच नई योजनाएं शुरू होगी

रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राज्य में सूखे की स्थिति और उससे निपटने को लेकर आपदा प्रबंधन प्राधिकार की उच्चस्तरीय बैठक 12 सितंबर को की। इस मौके पर उन्होंने राज्य में वर्षापात और फसलों की बुआई की पूरी जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे से किसान, पशु पालक, श्रमिक-मजदूर और ग्रामीणों को राहत देने के लिए सरकार ने तैयारियां तेज कर दी है। मुख्यमंत्री ने हर गांव में कम से कम पांच- पांच नई  योजनाएं शुरू करने का निर्देश दिया, ताकि रोजगार सृजन के साथ पलायन को रोका जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुखाड़ जैसे हालात में खाद्यान्न, पेयजल और पशु चारा की कमी नहीं हो, इसे ध्यान में रखते हुए योजनाओं को बनाएं। उसका बेहतर क्रियान्वयन के साथ मॉनिटरिंग भी हो। इस मौके पर विभिन्न विभागों ने सूखे जैसी हालात से निपटने के लिए बनाई जा रही अपनी कार्य योजना से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।

विभाग समन्वय बनाकर योजनाएं बनाएं

मुख्यमंत्री ने विभागों से कहा कि वे समन्वय बनाकर योजनाएं बनाएं, ताकि वे बहुउपयोगी साबित हों। उन्होंने विभागों को सुखाड़ जैसे हालात से निपटने के लिए दो हजार से लेकर ढाई हजार करोड़ रुपए तक की योजना बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने सभी योजनाओं की जियो टैगिंग करने का भी निर्देश दिया।

एक-एक लाख नए कुआं और तालाब बनाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे की स्थिति को देखते हुए पूरे राज्य में एक लाख नए कुआं और एक लाख तालाब बनाए जाएंगे। इसके साथ युद्ध स्तर पर चापाकल और चेक डैम की मरम्मत की जाएगी।

कच्चे कार्यों पर लगी रोक हटाने का निर्देश

मुख्यमंत्री ने सुखाड़ के मद्देनजर मनरेगा के तहत कच्चे कार्यों पर लगी रोक को हटाने का निर्देश दिया, ताकि ग्रामीण इलाकों में कच्ची सड़कों, तालाब, खेतों में मेढ़, जलकुंड और जल स्रोतों का गहरीकरण इत्यादि का काम शुरू किया जा सके। इससे ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने मनरेगा के तहत ज्यादा से ज्यादा मानव कार्य दिवस सृजित करने का भी निर्देश दिया।

झारखंड में कुछ ऐसी है सूखे की स्थिति

मुख्यमंत्री को अधिकारियों ने बताया कि 9 सितंबर तक राज्य में जो बारिश की स्थिति है, उसके मुताबिक 7 जिलों में सामान्य, 15 जिलों में सामान्य से कम और 2 जिलों  में बहुत ही कम बारिश हुई है। कम बारिश का नतीजा है कि धान समय अन्य फसलों की बुआई लक्ष्य की तुलना में काफी कम हुई है।

मंत्री सहित ये अधिकारी बैठक में मौजूद

उच्चस्तरीय बैठक में स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, खाद्य आपूर्ति विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती हिमानी पांडेय, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनीष रंजन, कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीख पी, महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव केएन झा, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ अमिताभ कौशल, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा और कृषि निदेशक निशा उरांव मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने ये निर्देश भी दिए

● गौ पालकों के लिए योजना बनाएं। इसके अंतर्गत समूह बनाने वालों को गाय-भैंस उपलब्ध कराएं। दूध की खपत की व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि उनकी आय में वृद्धि के साथ दुग्ध उत्पादों की क्वालिटी बनी रहे।

● ग्रामीण कृषि उत्पादों को बढ़ावा दें। उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराया जाए, ताकि उत्पादकों को उसका उचित मूल्य मिलने के साथ उनके उत्पादों को बढ़ावा भी मिल सके।

● सूखे के कारण अगर पेयजल संकट पैदा होता है तो टैंकर अथवा अन्य माध्यमों से पेयजल आपूर्ति को सामान्य बनाए रखने के लिए व्यवस्था अभी से सुनिश्चित रखें।

● विद्यार्थियों के बीच समय पर छात्रवृत्ति वितरित किया जाए।

● सभी सरकारी और रैयती तालाबों का गहरीकरण कार्य शुरू किया जाए।

● मनरेगा के तहत मानव सृजन दिवस की गति को तेज किया जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके।

● लघु सिंचाई परियोजनाओं के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू करें, ताकि इसकी वाटर स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाने के साथ मछली पालन को बढ़ावा मिल सके।

● झारखंड में पर्यटक स्थलों पर रोजगार की संभावनाओं को तलाशें और इसके लिए  जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।