- कुलपति से बंगलुरु के हॉर्टिकल्चर संस्थानों के अनुभवों को किया साझा
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अधीन संचालित कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर, खुंटपानी (चाईबासा) में अध्ययनरत 49 स्नातक छात्रों के दल ने बंगलुरु स्थित उद्यान से जुड़े राष्ट्रीय संस्थानों का एजुकेशनल टूर पूरा किया। दल में कॉलेज के दूसरे सत्र 2019-20 के छठे सेमेस्टर के 37 छात्राएं एवं 12 छात्र शामिल थे।
छात्रों ने यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चरल साइंसेज (यूएचएस) बगालकोट, यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (यूएएस), इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉर्टिकल्चरल रिसर्च (आईआईएचआर) एवं लालबाग बोटनिकल गार्डन में विभिन्न उद्यानिक प्रजाति के प्रायोगिक क्षेत्र, अनुसंधान केंद्रो, म्यूजियम एवं लेबोरेटरी का भ्रमण किया। बुधवार को छात्र दल ने कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह से भ्रमण के दौरान उद्यान से सबंधित अनुभवों को साझा किया।
छात्रों ने बताया कि भ्रमण में अनेकों नई तकनीकी एवं उद्यान फसलों को देखने का अवसर मिला। जिन्हें किताबों में पढ़ा और टीवी में देखा करते थे, ऐसी तकनीकी एवं उद्यान फसलों की उत्पादन प्रणाली को प्रत्यक्ष जानने का अवसर मिला। आईआईएचआर में ओसमेटिक डीहाइड्रेशन तकनीकी से फलों एवं सब्जियों की गुणवत्ता एवं पोषण मूल्य बनाये रखते हुए सालोंभर उत्पादन तकनीक को देखकर सभी प्रभावित हुए।
अनेकों स्थानीय, देशी एवं विदेशी फूलों की प्रजाति का ब्रीडिंग कल्चर एवं इनके जर्मप्लाज्म प्रबंधन से नई बातें सीखने को मिली। उद्यान की आधुनिक जल निकास प्रणाली पर पहल एवं ड्रैगन फ्रूट के अनेकों प्रजाति की तकनीक जानने को मिला।
यूएएस के सेंट्रलाइज्ड म्यूजियम में पौराणिक खेती, खेती का तकनीकी से आधुनिकरण एवं खेती के उपयोगी टूल्स को देखा। उद्यान विभाग के सेंट्रलाइज्ड नर्सरी में एक ही जगह सब्जी, फल, फूल, औषधिय, सगंधित एवं मसाला फसलों की नर्सरी तकनीक को सीखा।
फल नर्सरी में अनेकों विदेशी फसलों की ग्राफ्टिंग तकनीक, फलों के वेजीटेटिव एवं रिप्रोडक्टिव तकनीक एवं फायदों और एवाकोड़ा के अनेक से अवगत हुए. बायोटेक्नोलॉजी लैब में टिश्यू कल्चर तकनीक से उद्यान फसल के उत्पादन प्रौद्योगिकी जानने को मिला।
छात्रों ने बताया कि यूएचएस में अनेकों माइक्रो फ्रूट, वेस्टर्न फ्रूट एवं एंटी ओबेसिटी फ्रूट्स के नर्सरी देखने को मिली। जीवन में पहली बार लाल रंग के सीता फल, राम फल, हनुमान फल आदि देखने को मिला। पके फलों का छात्रों ने स्वाद चखा।
बंगलुरु के लालबाग गार्डन में सैकड़ो प्रजाति के फूलों एवं गुलाब गार्डन से भी सीखने का मौका मिला। वृंदावन वन गार्डन में उद्यान एवं अभियंत्रण तकनीक के समावेश से गार्डन की सुंदरता से भी काफी कुछ जानने को मिला। छात्रों ने एजुकेशनल टूर को बेहद उपयोगी एवं लाभकारी बताया।
कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि झारखंड में उद्यान की काफी संभावना है। उद्यान उत्पाद की मांग काफी अधिक है। लोगों की रुचि भी उद्यान क्षेत्र में देखने को मिल रही है। छात्र उद्यान विषय के तकनीक को खुब पढ़े, मेहनत करें. अवसर एवं सफलता काफी मिलेगी।
मौके पर डीएसडब्लू डॉ डीके शाही ने छात्रों से एजुकेशनल टूर के दौरान मिली सुविधा की जानकारी ली। टूर प्रभारी डॉ अर्केंदु घोष एवं डॉ अदिति गुहा चौधरी ने भ्रमण दौरान छात्रों के अनुशासन पर प्रकाश डाला।
स्वागत एवं धन्यवाद एसोसिएट डीन डॉ पीबी साहा ने किया। मौके पर डॉ अमित कुमार, डॉ अपूर्व पाल, डॉ श्वेता सिंह, डॉ श्वेता कुमारी के अलावा कॉलेज में अध्ययनरत अन्य सेमेस्टर के भी छात्र-छात्राएं मौजूद थे।