इतिहास : सीसीएल की पिपरवार यूजी होगी कोल इंडिया की पहली एमडीओ परियोजना

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  • मेसर्स जेएमएस पिपरवार प्राइवेट लिमिटेड को 14 साल के लिए मिली खदान

रांची। सीसीएल ने इतिहास रच दिया है। कंपनी की पिपरवार फेज-I यूजी माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर (एमडीओ) मोड में चलेगी। इस मोड में चलने वाली पूरे कोल इंडिया की यह पहली परियोजना है। खदान के संचालन को लेकर रांची स्थित सीसीएल मुख्‍यालय में एक समझौता हुआ।

कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों में सीसीएल पहली कंपनी बनी, जिसने भूमिगत परियोजना के लिए एमडीओ मोड में एक समझौता (कॉन्‍ट्रैक्‍ट एग्रीमेंट) किया है। सेंट्रल कोलफील्‍ड्स लिमिटेड और मेसर्स जेएमएस पिपरवार प्राइवेट लिमिटेड के बीच 29 अगस्‍त, 2022 को सीसीएल मुख्‍यालय में भूमिगत खदानों के संचालन के लिए समझौता हुआ।

खदान संचालन के लिए 1889.04 करोड़ रुपए मूल्‍य के एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। सीसीएल की ओर से महाप्रबंधक (पिपरवार) सीबी सहाय एवं मेसर्स जेएमएस माईनिंग प्रा. लि. के निदेशक (तकनीकी) कल्‍याण कुमार हाजरा इस समझौते पर हस्‍ताक्षर किये।

इस अवसर पर सीएमडी पीएम प्रसाद ने कहा कि सीसीएल देश की ऊर्जा आवश्‍यकता को पूरा करने के लिए कृतसंकल्पित है। इस समझौता ज्ञापन से आने वाले समय में कोयला उत्‍पादन में और गति प्राप्‍त होगी। इस तरह प्रधानमंत्री के आत्‍मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने में भी सहायक होगा।

ज्ञात हो कि सीसीएल झारखंड के 8 जिलों में खनन कार्य कर रहा है। पिपरवार क्षेत्र एक समय कंपनी के लिए सबसे अधिक कोयला उत्‍पादक क्षेत्र रहा है। पिछले वित्‍तीय वर्ष 2021-22 में इसने 13.13 मिलियन टन कोयला उत्‍पादन कर सीसीएल में योगदान दिया है।

पिपरवार फेज-I (0.87 एमटीवाई) भूमिगत खदान एमडीओ प्रोजेक्‍ट कोल इंडिया की पहली एमडीओ परियोजना होगी। पिपरवार क्षेत्र की पिपरवार ओपनकास्ट खदान कोल इंडिया की पहली खदान थी, जहां अत्याधुनिक सीएचपी-सीपीपी के साथ पूरी तरह से मोबाइल इनपिट क्रशिंग और कन्वेइंग सिस्टम स्थापित किया गया था। यह इसे अपने आप में अनूठा बनाता है।

इस समझौता ज्ञापन समारोह में सीएमडी पीएम प्रसाद सहित निदेशक (तकनीकी/योजना एवं परियोजना) एसके गोमास्‍ता, निदेशक (वित्त) पवन कुमार मिश्र एवं सीएमडी के तकनीकी सचिव आलोक कुमार सिंह, निदेशक (तकनीकी/यो. एवं परि.) के तकनीकी सचिव पीके सिंह, निदेशक (वित्त) के तकनीकी सचिव संजय सिंह एवं अन्‍य गणमान्‍य लोग उपस्थित थे।

इस एमओयू की अवधि 14 वर्ष की होगी। इसमें 2 वर्ष निर्माण के लिए सुनिश्चित की गई है।