झारखंड में मानवाधिकार उल्लंघन के 53 मामलों की सुनवाई, सरकार ने दिए 13.5 लाख

झारखंड
Spread the love

रांची। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने झारखंड में मानवाधिकारी उल्‍लंघन के 53 मामलों की सुनवाई की। मंगलवार को ‘सार्वजनिक जन-सुनवाई एवं शिविर बैठक’ का रांची स्थित न्यायिक अकादमी में आयोजन किया गया। आयोग ने पीड़ितों को राहत के रूप में 50 लाख रुपये देने की अनुशंसा की। इसमें से राज्य सरकार ने 13.5 लाख का भुगतान किया। जन सुनवाई में आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, सदस्य न्यायमूर्ति एमएम कुमार, डॉ डीएम मुले और राजीव जैन ने मौजूद थे।

आयोग ने सार्वजनिक जन-सुनवाई के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के 53 मामलों की सुनवाई की। मामले गंभीर उल्लंघन जैसे बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, जादू टोना का आरोप, बिजली के कंरट से मौत, चिकित्सा लापरवाही, चिकित्सा सुविधाओं से इनकार, सजा पूरी होने के बाद कैदियों को रिहा न करना, राशन वितरण में अवैधता, सिलिकोसिस से होने वाली मौतों आदि से संबंधित थे।

आयोग ने 10 मामलों में मुआवजे के भुगतान की सिफारिश की। इसमें से 13.5 लाख रुपये का भुगतान राज्य सरकार ने किया है। चार लाख रुपये मुआवजे की राशि के दो मामलों में मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिल चुकी है। राज्य सरकार ने दो सप्ताह के भीतर संबंधित लाभार्थी को भुगतान करने का आश्वासन दिया है। दो मामलों में आंशिक अनुपालन किया गया है। राज्य सरकार द्वारा पूर्ण अनुपालन का आश्वासन दिया गया है। लगभग 50 लाख रुपये के मुआवजे की सिफारिश की गई है, जिसमें से उपरोक्त राशि का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। राज्य सरकार ने आयोग के निर्देशों के अनुसरण में अन्य आदेशों के अनुपालन का आश्वासन दिया है। आयोग ने मेरिट के आधार पर 22 मामलों को बंद कर दिया।

झारखंड को की गई कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशों में अन्य बातों के साथ-साथ पुलिस फायरिंग में चार व्यक्तियों की मौत से संबंधित मामले में मृतक के निकटतम परिजन को 2.5 लाख रुपये का भुगतान मुआवजा, करंट लगने से हुई मौत के निकटतम परिजन को 5 लाख रुपये का मुआवजा, अभ्रक खदान में धंसने से मरने वाले मजदूरों के परिजनों में प्रत्‍येक को 3.5 रुपये के मुआवजे का भुगतान, सिलिकोसिस रोगियों की पहचान और पुनर्वास के लिए नीति तैयार करना, राज्य में झोलाछाप डॉक्टरों की बढ़ती संख्या के मुद्दे पर चर्चा करना आदि शामिल हैं।

मामलों के निपटारे के बाद, आयोग ने गैर सरकारी संगठनों/मानव अधिकार संरक्षकों के साथ बातचीत की। उन्होंने मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को उठाया। इनमें केन्‍द्र सरकार से आर्थिक सहायता का हिस्सा नहीं मिलने के कारण मनरेगा श्रमिकों के भुगतान में देरी, राशन उपलब्ध कराने में देरी, लंबे समय से नि:शक्तता आयुक्त की नियुक्ति न होना, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की कमी के कारण प्री-स्कूली शिक्षा की कमी, बाल तस्करी, बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था, दिव्‍यांग प्रमाण पत्र जारी करने में देरी, स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस के बीच तालमेल का अभाव आदि शामिल हैं। प्रतिनिधियों को बताया गया कि वे शिकायत आदि दर्ज कराने के लिए वेबसाइट hrcnet.nic.in का उपयोग कर सकते हैं।