2डी/3डी सिस्मिक सर्वे में विभागीय क्षमता से कार्य करने पर जोर : सीएमडी

झारखंड
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रांची। देश में कोयला उद्योग की ऊर्जा क्षेत्र में और कोल इंडिया की कोयला क्षेत्र में प्रमुख दावेदारी है। कोल इंडिया ने वर्ष 2021-22 में 670 मिलियन टन कोयला उत्पादन के लक्ष्य की तुलना में 622 मिलियन टन उत्पादन की है, जो कोरोना महामारी द्वारा उत्पन्न चुनौतियां के मद्देनजर एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। वर्ष 2022-23 में कोयला उत्पादन लक्ष्य 700 मिलि‍यन टन है, जिसको हासिल करने के लिए सभी सहायक कम्पनियां प्रयासरत है। उक्त बातें सीएमपीडीआई के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक मनोज कुमार ने कहीं। वह 15 अगस्त को वे रांची मुख्यालय में झंडा फहराने के बाद बोल रहे थे।

कुमार ने कहा कि वर्ष 2022-23 में 6.5 लाख मीटर ड्रिलिंग का लक्ष्य रखा गया है, जिसके मुकाबले जुलाई, 2022 तक 1.63 लाख मीटर ड्रिलिंग की गई है। 2डी/3डी सिस्मिक सर्वे में विभागीय क्षमता के द्वारा कार्य करने पर जोर दिया जा रहा है। इसमें वृद्धि पर भी बल दिया जा रहा है, जिससे कार्य एवं श्रम के अनुरूप कम्पनी को वित्तीय लाभ हो सके। सीएमपीडीआई द्वारा मात्रात्मक मापन एवं अन्य अनुप्रयोगों में ड्रोन के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यादेशानुसार राज्य के 25 जिलों के लगभग 400 बालू घाटों का प्री-मॉनसून ड्रोन सर्वे और बिहार के भी 4 नदियों का सर्वे निर्धारित समय में पूरा किया गया।

इसके अलावा, सीआईएल में कोयला गैसीकरण के विकास के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की है। कोल इंडिया की सहायक कम्पनियों में सीबीएम/सीएमएम के विकास के लिए सीएमपीडीआई प्रधान कार्यान्वयन एजेंसी है। बीसीसीएल, ईसीए, एसईसीएल एवं सीसीएल में सीबीएम/सीएमएम के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है।

सीबीएम ब्लॉक की प्रोजेक्ट फिजिबिलिटी रिपोर्ट सीईडी विभाग द्वारा सॉफ्टवेयर कॉमेट-3 का उपयोग करके तैयार की गयी है। यह सीएमपीडीआई की सीबीएम ब्लॉक से संबंधित पहली पूर्णतया सेल्फ-प्रिपेयर्ड रिपोर्ट है, जिसे आंतरिक संसाधनों के माध्यम से तैयार की गयी है जो कि विशेष उपलब्धि है। ज्ञात हो कि पूर्व में  रिजर्वायर मॉडलिंग टेंडर के माध्यम से चयनित तकनीकी सलाहकारों द्वारा बनायी जाती थी।

सीएमपीडीआई के लिए रणनीतियों/गतिविधियों में बाह्य परामर्शी सेवा, गैर कोयला क्षेत्रों में एक्सप्लोरेशनल में विविधीकरण, 2डी/3डी सर्वे क्षेत्र में विभागीय क्षमता में बढ़ोतरी, कोयला एवं गैर कोयला क्षेत्रों में एनएमईटी फंड के माध्यम से गवेषण का प्रयास, कोयला गुणवत्ता परीक्षण सेवाओं का विविधीकरण, सीबीएम और कोयला गैसीकरण परियोजना के लिए परियोजना कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्यान्वयन, सीआईएल/सहायक कंपनियों के लिए कोयले की ई-ऑक्शन हेतु कोल ई-ऑक्शन प्लेटफार्म का विकास, सीआईएल में ड्रोन आधारित सर्वे द्वारा फोटोग्रामेट्री और लिडार तकनीकी का उपयोग करते ओबीआर सर्वे, भूमि पुनरूद्धार, माइन क्लोजर मॉनीटरिंग आदि क्षेत्रों के लिए डाटा एकत्रीकरण तथा गैर कोयला क्षेत्र में पर्यावरणीय सेवा प्रदान करने के लिए चिन्हित की गयी है।

कुमार ने कहा कि सीएसआर के अंतर्गत संस्थान द्वारा रांची जिला अस्पताल के लिए कोविड निदान और चिकित्सा सर्जरी के चिकित्सा उपकरण,  कांके राजकीय हाईस्कूल में वर्जुअल रियलिटी लैब की स्थापना, शौचालय ब्लॉक और सौर प्रकाश व्यवस्थायुक्त मिसिर गोंदा ग्राम का विकास, आसनसोल के आनंदम के 35 विशेष बच्चों तथा श्रीमाप्रतिबंधी कल्याण केन्द्र के 50 विशेष बच्चों का प्रायोजन, दिव्यांग व्यक्तियों को सहायता और सहायक उपकरणों की पहचान एवं वितरण, सोलर इनर्जी से संचालित डीप बोरिंग पम्प की स्थापना तथा अपने कमांड एरिया के युवाओं के लिए प्लास्टिक तकनीक में 120 उम्मीदवारों को कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण दिलाई गयी।  

सीएमडी ने कहा कि वर्ष 2021-22 के दौरान 25 जियोलॉजिकल रिपोर्ट (जीआर) के माध्यम से 317 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को शामिल कर डिटेल्ड एक्सप्लोरेशन के जरिए लगभग 8.8 बिलियन टन कोयला संसाधन को प्रमाणित श्रेणी में जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त गत वर्ष की 295 लाइन किलोमीटर की तुलना में 2021-22 के दौरान 865 लाइन किलोमीटर 2डी/3डी सिस्मिक सर्वे किया गया। लगभग 69 मिलियन टन इंक्रीमेंटल क्षमता बढ़ोतरी के साथ 30 प्रोजेक्ट रिपोर्ट्स (पीआर) तैयार की गयी।

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक (तकनीकी/आरडीएंडटी) आरएन झा, निदेशक (तकनीकी/सीआरडी/ईएस) एसके गोमास्ता, मुख्य सतर्कता अधिकारी सुमीत कुमार सिन्हा, वरीय सलाहकार एके राणा समेत मुख्यालय तथा क्षेत्रीय संस्थान-3 के क्षेत्रीय निदेशक, महाप्रबंधक व विभागाध्यक्ष, जेसीसी सदस्य/श्रमिक प्रतिनिधि, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।