यहां से राखी खरीदकर बहनों को दें रक्षाबंधन की सौगात

झारखंड
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  • जैविक सामग्री से निर्मित राखी बनी आकर्षण का केंद्र
  • सखी मंडल से निर्मित तिरंगा राखी की काफी डिमांड

रांची। रक्षाबंधन का त्योहार कुछ ही दिन बाद है। राखियों की बिक्री तेज हो गई है। अब तक आपने राखी नहीं खरीदी है तो यहां से खरीदें। इससे बहनों को रक्षाबंधन का सौगात दे सकेंगे। उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। दरअसल, झारखंड की सखी मंडल की महिलाएं भी राखी बना रही हैं। जैविक सामग्री से बनी राखी इस बार आकर्षण का केंद्र है। तिरंगा खारी की काफी डिमांड है। झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस) ने इन ग्रामीण महिलाओं को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया है। निर्मित राखी की ब्रांडिंग और मार्केटिंग पलाश ब्रांड के तहत की जी रही है।

जिला और प्रखंड स्तर पर बिक्री

रांची, हजारीबाग, दुमका, गिरिडीह, रामगढ, बोकारो, धनबाद और लोहरदगा के लगभग 75 स्वयं सहायता समूहों की 550 से अधिक माहिलाएं राखी निर्माण और बिक्री से सीधे तौर पर जुड़कर अपनी उद्यमिता के अवसरों को बढ़ा रही हैं। सखी मंडल की प्रशिक्षित दीदियों द्वारा 25 हजार से अधिक आकर्षक राखियों का निर्माण किया जा चुका है। संबंधित जिलों के पलाश मार्ट एवं पलाश प्रदर्शनी सह बिक्री काउंटर के माध्यम से जिला और प्रखंड स्तर पर बिक्री भी की जा रही है। राखी निर्माण की इस पहल से दीदियों की अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है।

हाथ से बनी राखियां बनी पसंदीदा

सखी मंडल की महिलाओं द्वारा राखी बनाने में जैविक सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है।

राज्य की सखी मंडल के उत्पादों को पलाश के जरिए एक नई पहचान मिली है। आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है। हाथ से बनी राखियां लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बन रही हैं। इन महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण के तहत जैविक सामग्री का उपयोग करते हुए 20-25 प्रकार की राखी बनाने की कला सिखाई गई है। अब अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए माहिलाएं जैविक सामग्री जैसे- धान, चावल, मौली धागा, सूती धागा, रेशम धागा, मोती, बुरादा, हल्दी, आलता आदि का उपयोग कर विभिन्न डिजाइन की राखियां तैयार कर रही हैं।

कीमत 10 रुपये से है शुरू

हजारीबाग सखी मंडल द्वारा विशेष रूप से कपडे़ की राखी तैयार की गई है, जो काफी लुभावनी एवं आकर्षक है। उसमें स्माइली राखी, इमोजी राखी, भैया-भाभी राखी, रुद्राक्ष राखी, चाकलेट राखी आदि प्रमुख हैं l हस्तनिर्मित राखियों की कीमत 10 से 280 रुपये तक के रेंज में उपलब्ध है। हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड के कुटुमसुकरी गांव की राधा सखी मंडल की ललिता देवी कहती हैं, ‘राखियां बनाने में उन्हें 16 से17 रुपये की लागत लगी है। 20-25 रुपये में बिक्री कर अच्छी आमदनी कर लेंगी। आगे यह राखियां बड़े पैमाने पर बनाकर बेचना चाहती हूँ, जिससे और अधिक आमदनी हो सके।‘

पलाश मार्ट से हो रही है बिक्री

बोकारो जिला के चास प्रखंड के बांसगोड़ा पूर्वी आजीविका महिला संकुल संगठन की 15 महिलाएं राखी बनाने का काम कर रही हैं। इन 15 सखी मंडल की दीदियों द्वारा अब तक 8000 से अधिक राखियां बनाई गई है, जिन्हें पलाश मार्ट द्वारा बिक्री की जा रही है। हेसबातु की रहने वाली मेहनाज बेगम कहती हैं कि उनके ग्राम संगठन द्वारा अभी तक 8000 राखी बनायी गयी है, जिससे उन्हे लगभग 25 से 30 हजार रुपये तक की मुनाफे की उम्मीद है।

रांची में यहां मिल रही ये राखी

हेहल स्थित जेएसएलपीएस राज्य कार्यालय स्थित पलाश मार्ट में सखी मंडल की बहनों द्वारा निर्मित फैंसी राखियां बिक्री के लिए उपलब्ध है। वाजिब कीमत पर फैंसी एवं आकर्षक राखियों की खरीदारी यहां से कर सकते हैं। आपकी हर खरीदारी से राज्य की ग्रामीण महिलाओं के हौसले मजबूत होंगे। उनकी आमदनी में इजाफा होगा। भाई बहनों के इस पर्व में आइए ग्रामीण बहनों द्वारा निर्मित राखी की खरीददारी कर उनको तोहफा दें।