टाटा स्टील का नाम डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में

नई दिल्ली देश बिज़नेस
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नई दिल्ली। टाटा स्टील को डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की भारत की शीर्ष 500 कंपनियों 2022 में लौह और इस्पात क्षेत्र में शीर्ष प्रदर्शनकर्ता के रूप में नामित किया गया है। शीर्ष 500 कंपनियों के 2022 प्रकाशन का विषय ‘ईएसजी : सस्टेनेबल और जिम्मेदार विकास के लिए एकमात्र तरीका’ है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट (डीएंडबी) अपने प्रमुख प्रकाशन ‘इंडियाज टॉप 500 कंपनीज’ के माध्यम से दो दशकों से अधिक समय से शीर्ष 500 कंपनियों की सफलता की कहानियों पर नजर रख रहा है।

टाटा स्‍टील के वाईस प्रेसिडेंट (कॉर्पोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी ने कहा, ‘हम डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की ‘भारत की शीर्ष 500 कंपनियों’ 2022 में शामिल होने और न केवल लौह और इस्पात क्षेत्र बल्कि सभी उद्योगों में भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली कंपनियों के साथ सम्मान साझा करने का अवसर पाकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। इस साल की लिस्टिंग भी विशेष है, जिसमें ईएसजी को इस सूची में जगह बनाने के लिए प्रमुख मापदंडों में से एक के रूप में शामिल किया गया है। एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट नागरिक के रूप में हम लोगों और ग्रह के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पहचानते हैं। हम अपने सभी हितधारकों के लिए दीर्घकालिक सस्टेनेबल मूल्य सृजन करने के लिए रणनीतिक प्राथमिकताओं पर लगातार ध्यान केंद्रित कर रहें हैं। हम डी एंड बी और प्रतिष्ठित बिज़नेस लीडर्स की जूरी को धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने लिस्टिंग का फैसला किया और अन्य कंपनियों को भी बधाई देना चाहते हैं जिन्होंने इस प्रतिष्ठित सूची में जगह बनाई है।‘

डन एंड ब्रैडस्ट्रीट (एनवाईएसई : डीएनबी), दुनिया का अग्रणी ज्ञान प्रदाता पिछले 20 वर्षों में भारत की आर्थिक प्रगति पर नजर रख रहा है। भारत की शीर्ष 500 कंपनियां ना केवल देश के कॉर्पोरेट क्षेत्र में अग्रणी हैं, बल्कि वास्तव में, हमारी अर्थव्यवस्था की प्रेरक शक्ति हैं। पिछले दो दशकों में, देश के सकल घरेलू उत्पाद में इन शीर्ष 500 कंपनियों के योगदान में 12 गुना वृद्धि हुई है, जबकि 1997 के बाद से उनके कुल राजस्व में 16 गुना वृद्धि हुई है।

भारत की शीर्ष 500 कंपनियों का मार्केट कैप 1997 से 2022 तक 29 गुना प्रभावशाली हो गया है और वर्तमान में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मार्केट कैप का लगभग 91% हिस्सा है। इसके अलावा, भारत की ये शीर्ष 500 कंपनियां अपने सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16% का योगदान करती हैं और देश की विदेशी मुद्रा आय का लगभग 46% और इसके कर राजस्व का लगभग 23% हिस्सा हैं। उन्होंने सीएसआर पर वित्त वर्ष 2020 में कम से कम 153.3 बिलियन रुपये खर्च किए और देश भर में लगभग 6.7 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं।