सुखाड़ की आशंका : मक्का, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज का बीज मंगा रहा विभाग

झारखंड कृषि
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  • कृषकों के बीच वैकल्पिक खेती की सघन प्रचार प्रसार करें कृषि पदाधिकारी

रांची। कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बक्कर सिद्दीख पी ने राज्य में बन रही सुखाड़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए सभी जिलों के कृषकों के बीच वैक्‍लपिक खेती का सघन प्रचार-प्रसार का निर्देश सभी कृषि पदाधिकारियों को दिया। सभी पदाधिकारियों को किसानों को इससे निपटने के लिए हर संभव सहायता करने का निर्देश दिया। वे 31 जुलाई को जिला कृषि पदाधिकारियों के साथ राज्य में सूखे जैसी उत्पन्न स्थिति पर वर्चुअल मोड में समीक्षा बैठक कर रहे थे।

टास्क फोर्स बनाने का भी निर्देश

सचिव अबू बक्कर सिद्दीख ने सभी जिलों की वर्तमान स्थिति पर लगातार नजर बनाये रखने  और उपायुक्त की अध्यक्षता में टास्क फोर्स बनाने का भी निर्देश दिया। सभी जिला कृषि पदाधिकारियों से उनके जिले में वर्षापात, धान की रोपनी, मक्के, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की बुआई की वर्तमान स्थिति के साथ-साथ अल्पवृष्टि की आशंका के आलोक में वैकल्पिक खेती और उसकी तैयारी पर विस्तृत समीक्षा और चर्चा की।

धान की रोपनी मात्रा 15% तक

राज्य में अभी तक 50% ही वर्षापात हुई है। धान की रोपनी मात्रा 15% तक ही हो पाई है। हालांकि मक्का, दलहन तिलहन और मोटे अनाज की बुआई संतोषजनक है। लगभग 18 जिलों में वर्षापात 50% या उससे भी कम हुई है। कोल्हान प्रमंडल में पूर्वी सिंहभूम एवं पश्चिमी सिंहभूम जिसलों को छोड़कर बाकी सभी जिलों में वर्षापात सामान्य से कम रिकॉर्ड किया गया है, जो चिंताजनक है।

15 अगस्त तक धान की रोपनी

जुलाई से लगातार वैकल्पिक खेती के लिए कृषि विज्ञान केंद्र की मदद किसान गोष्‍ठी का आयोजन किया जा रहा है। कृषकों को वैकल्पिक खेती के लिए कृषक मित्र, ATM/BTM के माध्यम से प्रेरित किया जा रहा है। राज्य में 15 अगस्त तक धान की रोपनी होती है। अगर आने वाले हफ्तों में अच्छी बारिश होती है तो धान की रोपनी 30-40% तक हो सकेगी।

बीज की मांग की जा रही है

वैकल्पिक खेती के लिए मक्का, दलहन, तिलहन तथा मोटे अनाज के बीज की उपलब्धता के लिए भारत सरकार के माध्यम से राष्ट्रीय बीज निगम से बीज की मांग की जा रही है। सूखे जैसे स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक खेती के लिए कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है।

बीज अनुदान की राशि बढ़ाएं

बैठक में अधिकारियों द्वारा किसानों को अल्पवृष्टि से राहत देने के लिए बीज अनुदान की राशि को बढ़ाने का अनुरोध किया गया। पशुओं के चारे की बीज और चारे की उपलब्धता के लिए भी कार्य योजना पर विचार किया गया। राज्य सरकार किसानों को सूखे से राहत देने के लिए आपदा प्रबंधन के अंतर्गत निहित प्राबधानों पर भी समीक्षा कर रही है, जिससे समय रहते भारत सरकार से वित्तीय सहायता ली जा सके।

बैठक में कृषि निदेशक श्रीमती निशा उरांव, विशेष सचिव सह सलाहकार प्रदीप कुमार हजारी, डिप्टी डायरेक्टर संतोष कुमार एवं मुकेश कुमार भी मौजूद थे।