राजधानी पटना में खून के काले कारोबार का खुलासा, ब्लड बैंक से चोरी कर यहां बेचा जाता था खून

बिहार देश
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पटना। बिहार जिस रास्ते पर जा रहा है, वह दुखद है। यहां अपराध चरम पर पहुंच गया है। ताजा मामला खून के काले कारोबार का है। दो सरगनाओं की गिरफ्तारी के बाद औषधि विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर और पुलिस प्रशासन ने कई चौंकाने वाले खुलासे किये हैं।

आरोपित संतोष कुमार व अजय पटना के छह से अधिक बड़े अस्पतालों और जरूरतमंदों को ब्लड सप्लाइ करते थे। औषधि विभाग के सहायक औषधि निरीक्षक विश्वजीतदास गुप्ता ने बताया कि खून की जांच का जिम्मा ड्रग इंस्पेक्टर यशवंत कुमार को दी गयी है।

प्रथम दृष्टया जांच में पता चला कि दोनों आरोपित कई प्राइवेट अस्पतालों से जुड़े थे। ब्लड बैंक से खून चोरी कर घर लाकर डंप करते थे और फिर महंगे दामों में बेचते थे।

छापेमारी में जिन लोगों के कागजात मिले हैं, उनमें कंकड़बाग के कई बड़े अस्पताल और डाइग्नोसिस सेंटर हैं। पुलिस ने मिले कागजात के आधार पर जांच शुरू कर दी है। खून के इस काले धंधे में केवल संतोष और अजय नहीं, बल्कि कई बड़े अस्पताल के कर्मचारियों के अलावे अन्य लोग शामिल हैं। दोनों के मोबाइल में भी अस्पतालों के कर्मचारियों के नंबर मिले हैं।

पीएमसीएच ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ रवींद्र कुमार शुक्ला ने बताया कि ब्लड को खास टेंप्रेचर वाले डीप फ्रीजर में रखा जाता है। वहीं रक्तकोष से निकलने के बाद अगर दो घंटे के भीतर नहीं चढ़ाया जाता है, तो उसके खराब होने का खतरा पैदा हो जाता है। खराब ब्लड मरीज को चढ़ाया जाता है, तो इससे कई तरह का खतरा पैदा हो सकता है। आशंका है कि कहीं दूषित ब्लड तो किसी को नहीं दिया गया।

लॉकेट कटवाने वाले गिरोह के पकड़े गये दो आरोपितों की निशानदेही पर शनिवार को पत्रकार नगर थाना क्षेत्र के संजय गांधी नगर के रोड नंबर 1 स्थित विजय चौधरी के मकान की तलाशी ली गयी। इस दौरान एक कमरे से फ्रिज में रखा 45 यूनिट ब्लड मिला है।

भारी मात्रा में खून मिलने के बाद पुलिस विभाग से लेकर ड्रग विभाग में हड़कंप मच गया। इसकी सूचना एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने डीएम को दी, जिसके बाद ड्रग विभाग की टीम ने ब्लड जब्त कर लिया। कमरे से इंजेक्शन, टेस्ट ट्यूब आदि मेडिकल की कई सामग्री भी मिली है। पता लगाया जायेगा कि यह ब्लड कब लिया गया है। कमरे को सील कर दिया गया है।

दरअसल, शुक्रवार को कोतवाली थाने की पुलिस ने संतोष और अजय द्विवेदी नाम के अपराधियों को पकड़ा था। दोनों छोटे-छोटे बच्चों का एक गिरोह बना कर महावीर मंदिर के आसपास बच्चों के गले से लॉकेट चोरी करवाते थे। पुलिस को शक है कि ये दोनों खून की खरीद-बिक्री करते हैं। गिरफ्तार आरोपितों में संतोष कुमार (30 वर्ष) जमुई के लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र के घोड़ापारण का निवासी है। अजय द्विवेदी (53 वर्ष) वैशाली के बिदुपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला है।

थानेदार के अनुसार इस मामले में ड्रग इंस्पेक्टर के बयान पर अलग से एक एफआरआर पत्रकार नगर थाना में दर्ज की जायेगी। फिलहाल पता लगाया जा रहा है कि इस अवैध धंधे में संतोष के साथ कौन-कौन लोग जुड़े हुए हैं।