खूंटी। खूंटी जिले की नदियां संकट में हैं। कारो, तजना, कोयल, छाता, चेंगरझोर, बनई समेत जिले की तमाम नदियां अपनी सतह से 10 से 15 फीट नीचे चलीं गईं हैं। अब इन्हें बचाने के लिए जिले में जनशक्ति से जलशक्ति के तहत नदी बचाओ अभियान की शुरुआत की गई है। इसके प्रथम चरण में मुरहू प्रखंड में बहने वाली बनई नदी पर घाघरा से घघारी तक 11 बोरीबांध नदियों पर बनाये गए। मंगलवार को मुरहू प्रखंड अंतर्गत पंचघाघ जलप्रपात से आगे घघारी और कोलोम्दा: गांवों की सीमान पर बनई नदी पर 12 फीट लंबे बोरीबांध का निर्माण किया गया।
सामुदायिक प्रयास से हो रहा काम
नदियों को बचाने के लिए सामुदायिक प्रयास हो रहे हैं। यह अभियान जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाईटी और स्थानीय ग्रामसभाओं के संयुक्त प्रयास से संचालित हो रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण योगदान ग्रामसभाओं का है। अब ग्रामसभाएं आगे आकर अभियान से जुड़ रहीं हैं। यही कारण है कि अभियान से जुड़कर विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, डीसी शशि रंजन, डीडीसी नितीश कुमार सिंह, डीसीएलआर जितेंद्र मुंडा, डीएसओ रंजीता टोप्पो, कांग्रेस नेता कालीचरण मुंडा, बीडीओ मिथलेश कुमार सिंह, कुमार नरेंद्र नारायण, सीआरपीएफ 94 बटालियन के अधिकारी और जवान नदी बचाओ अभियान के क्रम में बोरीबांध निर्माण में श्रमदान कर चुके हैं। दूसरी ओर जिस गांव के सीमान पर बोरीबांध का निर्माण होता है, गांव के बच्चे-बुढ़े, युवक-युवती, पुरूष महिलाएं श्रमदान करते हैं। बोरीबांध निर्माण के बाद नदी के किनारे ही खाना पकता है। थके हारे सारे ग्रामीण एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, जिससे गांव के लोगों में आपसी प्रेम बढ़ता है।
नदियों को नियंत्रण में ले रहा ग्रामसभा
नदी बचाओ अभियान के दौरान जब गांव के लोग चिलचिलाती धूप में बोरीबांध बनाते हैं, नदी के मिट्टी, बालू और पानी के संपर्क में आते हैं, तब नदी के प्रति उनके मन में प्रेम जगता है। बोरीबांध निर्माण के बाद अब ग्रामसभाएं यह निर्णय ले रहीं है कि वे अपने गांव के सीमान क्षेत्र में बहने वाली नदी से बालू का अवैध उठाव नहीं होने देंगे। जिन्हें बालू की आवश्यकता होगी, उन्हें दिया जाएगा। हालांकि उसके लिए ग्रामसभा में आवेदन देकर अनुमति प्राप्त करनी होगी।
अभियान से हो रहे हैं कई फायदे
नदी बचाओ अभियान के कई फायदे हो रहे हैं। ग्रामीणों का जुड़ाव नदी से हो रहा है। नदियों के संरक्षण और संवर्द्धन को लेकर ग्रामसभाएं जागरूक हो रहीं हैं। अस्तित्व खो चुकी नदी पुनर्जीवित हो रही है। जल संरक्षण हो रहा है। गांव का भूगर्भीय जलस्तर ऊपर आ रहा है। गांव के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल पा रहा है। मुरहू में निर्बाध रूप से जलापूर्ति संभव हो पा रहा है। पर्यटन स्थलों का अस्तित्व बचा रहेगा। नदी बचाओ अभियान के मल्टीपल बेनिफिट्स से अब गांव के लोग वाकिफ हो रहे हैं। नदी बचाओ अभियान एक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।
बोरीबांध बनाने में किया श्रमदान
मंगलवार को बनई नदी पर बनें बोरीबांध में ग्रामसभा घघारी के सुशील बोदरा, इंद्रनाथ सिंह, नमन बोदरा, महानंद सोय, फुलमनी धान, सुभाष टोपनो, आशीष बोदरा, मेरी मानकी, प्रभुदान बोदरा, पौलुस बोदरा, सुशील सोय, प्रभुसहाय बोदरा, सत्यवान सिंह, सुशाना बोदरा, मरियम सोय, आशियन पूर्ति, सदानंद बोदरा, लुकस सोय, निरल होरो, डेनियल बोदरा, पुष्पा बोदरा के साथ सेवा वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष और सचिव समेत संपुर्ण ग्रामसभा के सदस्यों ने श्रमदान किया।