आवेदक को देर से सूचना देने पर आयुक्‍त ने अफसर को दी अनोखी सजा

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उत्तर प्रदेश। सूचना का अधिकार के तहत एक व्‍यक्ति ने सूचना मांगी थी। उसे काफी देर से सूचना उपलब्‍ध कराई गई। इसके बाद राज्‍य सूचना आयुक्‍त ने सजा सुनाई। यह मामला सूबे के गाजीपुर के नोनरा ग्राम सभा का है।

आवेदक भूपेंद्र कुमार पांडेय ने आरटीआई के तहत ग्राम सभा में हुए विकास कार्यों को लेकर वर्ष, 2016 में सूचना मांगी थी। उन्‍होंने पूछा था कि ग्राम सभा में कितने पैसे आये। कितना खर्च किया गया। वर्ष, 2016 से साल, 2021 तक जन सूचना पदाधिकारी सह नोनरा ग्राम सभा के ग्राम विकास अधिकारी गोपाल सिंह थे। हर तारीख को आवेदक पहुंचते थे, पर जन सूचना पदाधिकारी कभी नहीं पहुंचे। गोपाल सिंह ने सूचना नहीं दी। टालमटोल करते रहे। दिसंबर, 2021 में उनका तबादला हो गया।

उनका तबादला होने के बाद चंद्रिका प्रसाद ने पद संभाला। उन्‍होंने छह माह में सूचनाएं उपलब्‍ध करा देने की बात आवेदक से कही। तय समय में उन्‍होंने सूचना आयुक्‍त के समक्ष सूचनाएं उपलब्‍ध करा दी। सूचना मिलने पर आवेदक संतुष्‍ट हुए।

इस दौरान हुई सूचना के दौरान राज्‍य सूचना आयुक्‍त ने माना कि देरी से सूचना देने के लिए वर्तमान पदाधिकारी दोषी नहीं है। हालांकि सूचना देने में देरी हुई है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। आयुक्‍त ने आवेदक से ही पूछा कि समय से उन्‍हें सूचना नहीं मिली है। वह यहां हाजिरी लगाते रहे। सूचना देरे से मिल रही है। आवेदक चाहें तो अधिकारी को दंड दिया जा सकता है।

आवेदक ने कहा कि सूचना उन्‍हें मिल गई है। आयुक्‍त अपने हिसाब से सजा दे सकते हैं। इसके बाद आयुक्‍त ने अधिकारी से कहा कि कहा कि सूचना उपलब्‍ध करा दी गया है। इसलिए कोई बड़ी सजा नहीं दी जाएगी। इसके बाद स्‍कूल के बच्‍चों को भोजन कराने की सजा दी गई। सजा के मुताबिक उन्‍होंने 29 अप्रैल को प्राथमिक विद्यालय के 250 बच्‍चों को एक दिन का भोजन कराया।