रांची। धर्म परिवर्तन करने वाले अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के लोगों को आरक्षण से वंचित किया जाएगा। इसपर केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। झारखंड के गोड्डा के भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दूबे ने यह जानकारी अपने ट्विटर पर यह जानकारी दी है। उन्होंने गृह राज्यमंत्री के पत्र को टैग किया है।
डॉ दूबे ने अपने ट्विट में लिखा है, ‘अनुसूचित जाति की तरह अनुसूचित जनजाति का धर्म परिवर्तन के बाद आरक्षण समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। ऐसा करने से आदिवासी सभ्यता, संस्कृति, रहन सहन, परिधान, भाषा सभी सुरक्षित रहेगा।‘
सांसद ने अपने ट्विट में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के एक पत्र को भी टैग किया है। पत्र में लिखा गया है कि लोकसभा में 7 दिसंबर, 2021 और 11 फरवरी, 2022 को शून्य काल के दौरान आपके द्वारा उठाये गये मामले का संदर्भ ग्रहण करें, जो अनुसूचित जनजाति के लोगों को धर्म परिवर्तन करने के बाद भी आरक्षण के लाभ दिये जाने से संबंधित है।
इस संबंध में मैं आपको यह अवगत कराना चाहूंगा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार “लोक व्यवस्था राज्य का विषय है। जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन का विषय राज्य सरकारों के दायरे में आता है। इस प्रकार, राज्य सरकारें धर्म परिवर्तन के विषय पर उपयुक्त कानून बनाने और इसके कार्यान्वयन के लिए सक्षम हैं।
सरकार अनुसूचित जनजाति के लोगों के धर्म परिवर्तन के बाद भी आरक्षण के लाभ लिए जाने से संबंधित मामले से जुड़ी जनभावनाओं को लेकर सचेत है और ऐसे अनुरोधों पर जनभावनाओं तथा अन्य प्रासंगिक बातों को ध्यान में रखकर विचार करना होगा।