कृषि बाजार शुल्क बढ़ाने के विरोध में व्‍यापारी, खाद्यान्‍न आपूर्ति ठप करने की धमकी

झारखंड मुख्य समाचार
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  • झारखंड चैंबर की राज्यस्तरीय बैठक में चरणबद्ध आंदोलन की बनी रणनीति

रांची। झारखंड में पुनः 1 प्रतिशत एवं 2 प्रतिशत कृषि बाजार टैक्स लागू किये जाने से संबंधित विधानसभा में पारित विधेयक के विरोध में झारखंड चैंबर के नेतृत्व में 17 अप्रैल को रांची में बैठक हुई। इसमें राज्य के सभी जिलों के चैंबर ऑफ कॉमर्स, खाद्यान्न व्यवसायी संघ एवं फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री से जुडे व्यापारियों ने भाग लिया। व्यापारियों ने एकमत से इस विधेयक को अप्रासंगिक बताया और विरोध जताया। कहा कि इस विधेयक के प्रभावी होने से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी, जिससे आम उपभोक्ता के साथ ही किसान और व्यापारियों की परेशानियां बढ़ेंगी।

भ्रष्टाचार एवं इंस्पेक्टर राज बढ़ेगा

व्यापारियों ने यह भी आशंका जताई कि इस विधेयक की आड़ में बाजार समितियों में पुनः भ्रष्टाचार एवं इंस्पेक्टर राज बढ़ेगा। व्यापारियों के पूरजोर विरोध को देखते हुए चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की। कहा कि यदि 15 मई तक इस विधेयक को शिथिल करने का निर्णय नहीं लिया जाता तो 16 मई से राज्य में खाद्यान्न की आवक और आपूर्ति व्यवस्था ठप करने के लिए राज्य के खाद्यान्न व्यवसायी (थोक एवं खुदरा) बाध्य होंगे।

चरणबद्ध आंदोलन 19 अप्रैल से

यह भी सहमति बनी कि 15 मई तक झारखंड चैंबर के निर्देश पर राज्य के सभी जिलों में शांतिपूर्ण ढ़ंग से इस विधेयक को शिथिल कराने के लिए स्थानीय चैंबर एवं खाद्यान्न व्यवसायी संघ द्वारा चरणबद्ध प्रयास किये जायेंगे। यह तय किया गया कि इस विधेयक के विरोध स्वरूप 19 और 20 अप्रैल को राज्य के सभी जिलों के खाद्यान्न व्यवसायी अपने प्रतिष्ठान में काला बिल्ला लगाकर व्यापार करेंगे। 22 और 23 अप्रैल को पोस्टकार्ड एवं पोस्टर के माध्यम से जागरुकता अभियान, 27 अप्रैल को सभी जिलों में उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। पुनः स्थानीय विधायकों से मिलकर इस विधेयक को शिथिल करने के समर्थन में अनुशंसा पत्र निर्गत कराने का प्रयास किया जायेगा।

झारखंड के लिए शुल्क गैर जरूरी

चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान राज्य में खाद्य वस्तुओं की सस्ती एवं पर्याप्त उपलब्धता बनाये रखने में जिला प्रशासन के आग्रह पर खाद्यान्न व्यापारियों ने हरसंभव सहयोग दिया। फलस्वरूप राज्य में खाद्य वस्तुओं की निरंतर उपलब्धता बरकरार रही। ऐसे समय में जब व्यापारियों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता थी, तब 2 प्रतिशत कृषि शुल्क की अतिरिक्त देयता के प्रावधान से हतोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है। झारखंड के परिप्रेक्ष्य में यह शुल्क गैर जरूरी है, क्योंकि यह कृषि प्रधान राज्य नहीं है। मंडी में जब किसानों को कोई सुविधा ही नहीं मिलती, तब इस शुल्क से हमारे किसानों का भला कैसे होगा। यह भी देखें तो झारखंड में आयातित अधिकांश पैक्ड वस्तुओं पर जीएसटी पहले से ही वसूला जा चुका होता है, उपर से हमारे राज्य में 2 प्रतिशत कृषि टैक्स प्रभावी करना अतार्किक है। उन्होंने यह भी कहा कि शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मिलकर इसपर वार्ता की जायेगी।

उपभोक्ताओं को जागरूक करें

विदित हो कि फेडरेशन चैंबर द्वारा इस के लिए एक कोर कमेटी का गठन भी किया गया है। कोर कमेटी के सदस्य मनोज नरेडी, अरूण बुधिया एवं प्रवीण जैन छाबडा ने भी इस विधेयक के पारित होने पर आपत्ति जताई। कहा कि इसे पारित करने से पूर्व सरकार द्वारा किसी भी व्यवसायिक संगठन से वार्ता नहीं की गई, ना ही इसके ड्राफ्ट पर सुझाव लिया गया। पूर्व अध्यक्ष अरूण बुधिया ने सभी जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदधारियों से अपील की कि वे प्रखंड स्तर पर इस विधेयक की खामियों से आम उपभोक्ताओं को जागरूक करें कि किस प्रकार इस विधेयक के प्रभावी होने के बाद खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी। पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी ने कहा कि महामारी के दौरान खाद्यान्न व्यापारियों ने स्वयं की चिंता न करते हुए पूरे राज्य की व्यवस्था को संभाला था। किंतु आज राज्य सरकार को व्यापारियों की कोई चिंता नहीं है। पूर्व अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने कहा कि राज्य सरकार के विकास के मानचित्र में व्यापार-उद्योग का विकास कहीं है ही नहीं जो राज्यवासियों के लिए चिंता का विषय है।

राज्‍यपाल को समीक्षा करनी चाहिए

व्यापारियों ने यह भी कहा कि राज्यपाल को इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने से वर्ष 2015 में कृषि शुल्क को समाप्त करने के कारणों की समीक्षा करनी चाहिए। क्योंकि इस विधेयक के प्रभावी होने से एक तरफ जहां खाद्य वस्तुएं महंगी होंगी, वहीं दूसरी तरफ राज्य में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, जीएसटी के रूप में प्राप्त होनेवाले राजस्व की हानि और राइस मिलों का निकटवर्ती राज्यों में पलायन आरंभ हो जायेगा। साथ ही जो किसान अपनी उपज आसानी से राज्य की इकाईयों को बेंच सकते थे उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पडेगा।

बैठक में उपस्थित सभी जिलों के चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों ने इस विधेयक के विरोध में अपनी बातें रखीं। फेडरेशन से इस दिशा में आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने का सुझाव दिया। व्यापारियों ने यह आश्वस्त किया कि इस विधेयक को शिथिल कराने तक राज्य के व्यापारी फेडरेशन चैंबर के हर निर्देश का अक्षरश: पालन करेंगे।

बैठक में ये भी थे मौजूद

चैंबर भवन में आयोजित राज्यस्तरीय सम्मेलन में चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा, उपाध्यक्ष दीनदयाल बरनवाल, महासचिव राहुल मारू, सह सचिव विकास विजयवर्गीय, रोहित अग्रवाल, कोषाध्यक्ष मनीष सर्राफ, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला, अमित महेष्वरी, कार्यकारिणी सदस्य मुकेश अग्रवाल, नवजोत अलंग, अनिष बुधिया, डॉ अभिषेक रामधीन, अमित शर्मा, प्रवीण लोहिया, आदित्य मल्होत्रा, राम बांगड, पूर्व अध्यक्ष ललित केडिया, पवन शर्मा, अरूण बुधिया, मनोज नरेडी, अर्जुन प्रसाद जालान, आरके सरावगी, कुणाल अजमानी, प्रवीण जैन छाबडा, रांची चैंबर अध्यक्ष शंभू प्रसाद गुप्ता, हरि कनोडिया, संजय महुरी, पाकुड चैंबर से संजय खतरी, निर्मल जैन, जेसीपीडीए अध्यक्ष संजय अखौरी, साहित्य पवन, देवघर जिला खुदरा दुकानदार संघ से राजेश बरनवाल, सिंहभूम चैंबर अध्यक्ष विजय आनंद मुनका, नितेष धूत, गुमला चैंबर से दिनेश अग्रवाल, काजल कुमार, चतरा से बिनोद, सुनिल कष्यप, खूंटी चैंबर से ज्योति सिंह, संथाल परगना चैंबर से आलोक मल्लिक, धनबाद से विकास कांधवे, चाइबासा चैंबर से मधुसुदन अग्रवाल, वन उपज एसोसियेषन से बिंदुल वर्मा, बोकारो से शिव हरि बंका, रामगढ़ खाद्यान्न व्यवसायी संघ से अमित साहु, चाईबासा से श्यामसुंदर सिंघानिया, नीतिन प्रकाश, परसुडीह बाजार समिति से दीपक भालोटिया, चतरा से जितेंद्र जैन के अलावा, रामगढ़ चैंबर, बोकारो चैंबर, जैनामोड़ चैंबर, बैंकमोड़ चैंबर, लोहरदगा चैंबर, गिरिडीह डिस्ट्रीक्ट चैंबर, देवघर चैंबर, जामताड़ा चैंबर, हजारीबाग चैंबर, कोडरमा चैंबर, पलामू चैंबर, पाकुड चैंबर, ईस्टर्न झारखंड साहि‍बगंज चैंबर, चिरकुंडा चैंबर, पष्चिमी सिंहभूम चैंबर, जमषेदपुर चैंबर, सिमडेगा चैंबर, सरायकेला खरसांवा चैंबर, महागामा चैंबर, गोड्डा चैंबर, दुमका चैंबर, बडामुरी नवाडीह चैंबर, मधुपुर चैंबर, ऑफ कॉमर्स एवं युवा व्यवसायी संघ फुसरो के अलावा आलू-प्याज थोक विक्रेता संघ, आढत एवं वन उपज संघ, पंडरा बाजार प्रांगण के मुख्य एवं टर्मिनल मार्केट यार्ड के कृषि उपज के सैकडों व्यापारी उपस्थित थे।