कलिंगानगर (ओडिशा)। टाटा स्टील अपने कलिंगानगर प्लांट विस्तारीकरण परियोजना के लिए भारी मशीनरी लाने के उद्देश्य से अंतर्देशीय जलमार्ग का उपयोग करने वाली ओडिशा की पहली स्टील कंपनी बन गई। इसने कार्बन-न्यूट्रल भविष्य के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
टाटा स्टील की कन्साइनमेंट शंघाई से ओडिशा के पारादीप बंदरगाह के लिए एक चार्टर्ड जहाज में रवाना हुई। फिर इसे एक बार्ज पर लाद दिया गया, जो लूना नदी को पार करते हुए अंततः 15 मार्च, 2022 को केंद्रपाड़ा जिले के मारसाघई में उतारा गया। इसके बाद माल को सड़क मार्ग के माध्यम से ले जाया गया और 2 अप्रैल को यह परियोजना स्थल पर पहुंचा।
टाटा स्टील के इंजीनियरिंग एंड प्रोजेक्ट डिवीजन ने चार सुपर ओवर डायमेंशनल असेंबल कार्गो के लगभग 1000 क्यूबिक मीटर की शिपिंग के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग सहित मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स का इस्तेमाल किया। इनमें से प्रत्येक का वजन 100 मीट्रिक टन तक था, जिसका व्यास 8 मीटर तक था। ये प्रोजेक्ट कार्गो स्लैग ग्रैन्युलेशन प्लांट का हिस्सा हैं, जिसे टाटा स्टील के कलिंगानगर प्लांट में स्थापित किया जा रहा है।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए टाटा स्टील ने डीयूग्रो प्रोजेक्ट्स इंडिया प्रा. लिमिटेड, का सहयोग लिया था, जो माल की ढुलाई और प्रोजेक्ट लॉजिस्टिक्स समाधानों में एक अग्रणी लॉजिस्टिक समाधान प्रदाता है।
इस साल की शुरुआत में टाटा स्टील ने भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के माध्यम से पश्चिम बंगाल से असम के लिए टीएमटी बार का पहला मल्टी-मोडल शिपमेंट शुरू किया था। ऐसा करने वाली यह भारत की पहली स्टील कंपनी बन गई। यह इस्पात क्षेत्र और देश को कार्बन मुक्त करने का एक ऐतिहासिक प्रयास था।