जापानी प्रतिनिधिमंडल ने किया बीएयू का दौरा, डॉ इकेदा को मानद प्रोफेसरशिप की उपाधि

झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) का 11 सदस्यीय जापानी प्रतिनिधिमंडल ने दौरा किया। इस क्रम में विश्व के प्रमुख बौद्ध व्याख्याकारों में से एक सोका गक्कई इंटरनेशनल (एसजीआई) के अध्यक्ष और सोका विश्वविद्यालय (टोक्यो, जापान) के संस्थापक को मानद प्रोफेसरशिप उपाधि प्रदान किया गया। डॉ इकेदा 94 वर्ष की उम्र की वजह से मानद प्रोफेसरशिप प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत रूप से नहीं आ सकें। उनके प्रशस्ति पत्र को सोका विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ योशीहिसा बाबा ने प्राप्त किया। हरित क्रांति, वैश्विक शांति और नए वैश्विक मानवतावाद के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और दोनों संस्थानों के अकादमिक एवं शोध में सहयोग करने के लिए उन्‍हें यह उपाधि दिया गया। कार्यक्रम बीएयू के सीनेट हॉल में गुरुवार को हुआ।

समारोह में बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह एवं कुलसचिव डॉ शैलेश चट्टोपाध्याय ने संयुक्त रूप से डॉ योशीहिसा बाबा को प्रशस्ति पत्र सौंपा। मौके पर 11 सदस्यीय जापानी प्रतिनिधिमंडल में एसजीआई निदेशक डॉ आकाश ओची, भारत सोका गक्कई (बीएसजी)  अध्यक्ष विशेष गुप्ता, बीएसजी महानिदेशक इंद्रनाथ चौधरी, विदेश मामले के योशीहिरो ओजाकी, बीएसजी के विदेश संबंधों के प्रमुख आनंद श्रीनारायण, बीएसजी महिला प्रभाग प्रमुख राशि आहूजा, योशीहिरो ओजाकी, एसजीआई के राजीव ताकाहाशी, सातोको ओनो, रेनिचिरो नाकगावा, ताकाकी कोबायाशी मौजूद थे।

इस अवसर पर सोका विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ योशिहिसा बाबा ने कहा कि एक राष्ट्र की खुशी किसानों की शांति और समृद्धि पर निर्भर करती है। यह जानकर बहुत संतोष होता है कि बीएयू द्वारा कृषक समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का अच्छी तरह से ध्यान रखा गया है। उन्होंने डॉ इकेदा द्वारा वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र में खतरे को हल्के में नहीं लेने उनकी कृषि नीति, दिशा एवं दर्शन को साझा किया। बीएयू और सोका विश्वविद्यालय के बीच हुए समझौते के मसौदे पर प्रकाश डाला। कहा कि झारखंड की पवित्र भूमि में भगवान बिरसा मुंडा के नाम से स्थापित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि, पशु चिकित्सा एवं वानिकी विषयों के शैक्षणिक, शोध एवं प्रसार क्षेत्र में सहयोग एवं आदान-प्रदान से क्षेत्र में कृषि विकास को नई उंचाई मिलेगी। महात्मा गांधी के दर्शन से एक नया आयाम स्थापित होगा।

बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि डॉ इकेदा ने कृषि को हल्के में लेने के खतरों के बारे में बार-बार आगाह किया। मानव जाति के सुरक्षा, भविष्य, संस्कृति, परंपरा, जीवन और पर्यावरण के संरक्षण के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसे बहुत गंभीरता से लेने की वकालत की है। कुलपति ने कहा कि डॉ इकेदा ने जापान में सोका स्कूल प्रणाली की स्थापना से एक मानवतावादी, छात्र-केंद्रित शिक्षा, एक शांतिपूर्ण एवं जीवन-पुष्टि करने वाले समाज के विकास की नींव रखीं, जिसका फैलाव जापान, मलेशिया, सिंगापुर, हांगकांग, कोरिया और अमेरिका तक है। उन्होंने युवाओं के दृष्टिकोण और अपेक्षाओं को आकार देने में शिक्षा की शक्ति को सदैव बढ़ावा दिया है। 96 वर्षीय डॉ इकेदा ने अपने लेखन, प्रस्तावों एवं संवादों से युवाओं निरंतर प्रोत्साहन एवं ऊर्जावान बनाये रखने में सक्रिय रहे है।

मौके पर बीएयू कुलसचिव डॉ एस चट्टोपाध्याय ने मानद प्रोफेसरशिप के प्रशस्ति पत्र के सार को पढ़कर प्रस्तुति दी।

बीएयू के डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल ने स्वागत किया। डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएस मलिक ने ‘बीएयू एट ए ग्लांस’ शीर्षक से एक प्रस्तुति दी। डीन पीजी डॉ एमके गुप्ता ने धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन रेडियो हरियाली की समन्यवयक शशि सिंह ने कि‍या।

मौके पर 11 सदस्यीय जापानी प्रतिनिधिमंडल सहित बीएयू के डॉ डीके शाही, डॉ पीके सिंह, डॉ एके सिंह, डॉ एके पांडे, डॉ कौशल कुमार, डॉ सुरेश मेहता, डॉ बीके झा एवं अन्य शिक्षक एवं वैज्ञानिक भी मौजूद थे।

बताते चलें कि बीएयू और सोका यूनिवर्सिटी ने करीब एक महीने पहले शिक्षण, शोध, प्रकाशन और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों के क्षेत्र में आपसी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। अगले पांच वर्षों के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के अनुसार दोनों विश्वविद्यालय संकाय एवं कर्मचारियों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। संयुक्त रूप से अनुसंधान और परामर्श का संचालन करेंगे। सूचना और प्रकाशन को साझा करेंगे।