पैर जला तो दिखाया डॉक्टर को, तब 13 साल की बच्ची निकली 8 महीने की प्रेग्नेंट, ऐसे सामने आई सच्चाई

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राजस्थान। राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव में 13 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है। इस मामले का जिस तरह खुलासा हुआ, वो भी सभी के लिए हैरान करने वाला था।

खबर के मुताबिक, 13 वर्षीय लड़की अपनी दादी के साथ गांव में रहती थी, उसकी दादी गांव में लोगों के घरों में बर्तन मांजने सहित अन्य घरेलू काम करती थी, जबकि उसके माता-पिता मंदसौर में मजदूरी करते थे। एक दिन उसका पैर जल गया तो उसे मंदसौर के राजकीय अस्पताल में दिखाने के लिए ले गए। यहां डॉक्टरों ने बच्ची का पेट फुला हुआ देखा, तो शक के आधार पर सोनोग्राफी की।

तब पता चला कि बच्ची 8 महीने की गर्भवती है। तब डॉक्टरों ने पुलिस को सूचित किया। इस पर पुलिस स्टाफ ने बालिका के साथ दुष्कर्म की जीरो एफआईआर बना दी। जब इस बारे में बच्ची और उसके परिजनों से बात की , तो कोई भी यह नहीं बता पा रहा था कि बच्ची के साथ यह वारदात कब हुई और किसने की।

पुलिस ने बच्ची और परिजनों की परेशानी को देखते हुए पुलिस ने अपने स्तर पर ही जांच को आगे बढ़ाया। सिविल ड्रेस में महिला कॉन्स्टेबल और पुलिस कर्मियों को सूचना इकठ्ठा करने की ड्यूटी लगाई। इस दौरान बालिका ने कोर्ट में अपने 164 के बयान दिए। इसमें एक परिचित पर दुष्कर्म का संदेह जाहिर किया।

पुलिस ने सबूत जुटाकर 17 वर्षीय बाल अपचारी को दुष्कर्म मामले में पोक्सो एक्ट के तहत हिरासत में लिया। जाँच के तहत पुलिस ने परिचित और संदिग्ध 10 लोगों के डीएनए टेस्ट करवाए। इसमें 17 वर्षीय बाल अपचारी भी शामिल था। लेकिन किसी भी डीएनए की रिपोर्ट मैच नहीं हुई। शक के आधार पर संदिग्ध के 16 वर्षीय छोटे भाई का डीएनए सैंपल भी लिया गया। जब रिपोर्ट आई तो वह पीड़िता के बच्चे की डीएनए रिपोर्ट से मैच हो गई।

तब पुलिस ने 16 वर्षीय बाल अपचारी को भी पोक्सो एक्ट के तहत डिटेन कर लिया, जाँच में सामने आया कि दोनों किशोर ने अलग-अलग समय में बालिका के साथ दुष्कर्म किया था। जिससे बच्ची को गर्भ ठहर गया। दोनों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है, जबकि इस प्रक्रिया के दौरान नाबालिग पीड़िता ने बच्चे को जन्म दिया, जिसे अस्पताल में ही सुपुर्द किया गया।