पुलिस एसोसिएशन पर भेदभाव करने का आरोप, सुखदेव नगर थाना प्रभारी को सस्‍पेंड करने की मांग

झारखंड
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रांची। झारखंड की राजधानी रांची के हरमू स्थित नवीन सरना आदिवासी कॉलेज छात्रावास में हुई तोड़फोड़ का मामला गरमाने लगा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में जिला प्रशासन पर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया। पुलिस एसोसिएशन पर जातीये भेदभाव करने का आरोप लगाया। सुखदेव नगर थाना प्रभारी को सस्‍पेंड करने और उनके खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का प्रस्‍ताव लाने की मांग की।

सामाजिक अगुवा शशि पन्‍ना ने कहा कि बीते 16 मार्च, 2022 को सुबह 10 बजे छात्रावास में असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़फोड़ की गई। छात्रों की किताब-कॉपी, पठन-पाठन सामग्री को कुएं में डाल दिया गया। बाथरूम और किचन को भी तोड़ दिया गया। घटना के तीन-चार दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस प्रशासन मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सका है।

छात्रावास में 17 मार्च, 2022 को बैठक हुई थी। इसमें मांडर विधायक बंधु तिर्की, सिसई विधायक जिगा मुंडा, खिजरी विधायक राजेश कच्छप, पूर्व विधायक सुखदेव भगत, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव एवं अन्य सामाजिक संगठन लोग मौजूद थे। तभी सुखदेव नगर थाना प्रभारी को उनके उदासीन रवैया को देखते हुए विधायक जिगा मुंडा ने फटकार लगाई थी।

शशि पन्‍ना ने कहा कि जिला पुलिस प्रशासन हमलावर को गिरफ्तार करें। मुख्य आरोपी आज भी फरार है। जब तक मास्टरमाइंड को पुलिस गिरफ्तार नहीं करती है, तब तक हम चुप बैठने वाले नहीं हैं। पुलिस एसोसिएशन राजनीतिकरण कर मुद्दे से नहीं भटकाएं। रूपा तिर्की हत्या मामले में पुलिस एसोसिएशन क्यों मौन था? एसोसिएशन को इस तरह से जातीये भेदभाव नहीं करना चाहिए।

पन्‍ना ने कहा कि दोषियों को गिरफ्तारी किया जाए। जो क्षति हुई है, उसे जिला प्रशासन द्वारा भरपाई किया जाए। जिला प्रशासन द्वारा आश्वासन दिया गया था कि शनिवार क्षति की मरम्मत कर दी जाएगी। अब तक किसी भी तरह की मरम्‍मत नहीं की गई है। सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाया गया है। इस पर हमें एतराज है। जिला प्रशासन आदिवासी छात्रावास मामले को बहुत हल्के में ले रहा है। सुखदेव नगर थाना प्रभारी को सस्पेंड करते हुए उस पर कानूनी कार्रवाई की जाए। विधायकों से मांग करते है कि सदन में विशेषाधिकार हनन मामला सुखदेव नगर थाना प्रभारी के खिलाफ लाया जाए, ताकि इस तरह का अभद्र व्यवहार भविष्य में नहीं करें।

मौके पर शशि पन्ना (सामाजिक अगुवा), निरंजना हेरैंज टोप्पो (अध्यक्ष, जय आदिवासी केंद्रीय परिषद), अरविंद उरांव (राष्ट्रीय सामाजिक अगुवा), अल्बिन लकड़ा (महासचिव, आदिवासी सेना), विकास तिर्की, अनिल अमिताभ पन्ना, मुन्ना टोप्पो, चैनसिंह मर्सकोले (सामाजिक अगुवा, मध्यप्रदेश) आदि मौजूद थे।