अमेरिका। अमेरिकी बायोफार्मास्युटिकल कंपनी एचडीटी बायो कॉर्प ने वाशिंगटन की संघीय अदालत में पुणे स्थित एमक्योर के खिलाफ 95 करोड़ डॉलर का मुकदमा दायर किया है. जिसमें इस भारतीय कंपनी पर एक नई कोविड वैक्सीन के व्यापार रहस्य ‘चोरी’ करने का आरोप लगाया गया है. एचडीटी बायो ने कहा कि पुणे की फर्म ने उस नई वैक्सीन तकनीक को चुरा लिया था, जिसे उसने भारत में बनाने और बेचने के लिए एमक्योर की सहायक कंपनी जेनोवा को लाइसेंस दिया था.
अमेरिकी कंपनी ने कहा कि उसका नया टीका लक्षित कोशिकाओं को प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले आरएनए को पहुंचाने के लिए लिपिड इनऑर्गेनिक नैनोपार्टिकल फॉर्मूलेशन का उपयोग करता है. गौरतलब है कि एचडीटी बायो ने जुलाई 2020 में जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स के साथ एक संभावित कोविड वैक्सीन को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए मैसेंजर या एमआरएनए तकनीक का उपयोग करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे.
इस मामले में एमक्योर के प्रवक्ता ने बताया कि ‘लाइसेंस समझौता, जो मुकदमे का विषय है, जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स और एचडीटी के बीच है. एमक्योर फार्मा का इस मामले से कोई संबंध नहीं है. एमक्योर को कानूनी मामलों के जानकारों ने बताया है कि इसके खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है और उसे गलत तरीके से मुकदमे में एक पार्टी के रूप में शामिल किया गया है.
कंपनी इन दावों को खारिज करने के लिए जरूरी कानूनी कदम उठा रही है.’ जबकि जेनोवा के प्रवक्ता ने कहा कि ‘हमारा कहना है कि इस मुकदमे में कोई कानूनी आधार नहीं है. हमारा दावा है कि समझौते के किसी भी दायित्व या कानून के प्रावधानों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
हम इस तरह के तुच्छ मुकदमे का सख्ती से बचाव करेंगे.’ जबकि एचडीटी बायो कॉर्प ने अपने मुकदमे में कहा है कि एमक्योर ने हाल ही में घोषणा की है कि वह अपने तथाकथित मालिकाना एमआरएनए प्लेटफॉर्म के बल पर एक कोविड वैक्सीन को उतारने का इरादा रखता है. लेकिन वह एमआरएनए प्लेटफॉर्म और वैक्सीन एचडीटी बायो कॉर्प के हैं.’ इसमें कहा गया है कि एमक्योर और उसकी सहायक कंपनी द्वारा एचडीटी की बौद्धिक संपदा की चोरी, लाइसेंस समझौते का उल्लंघन करती है और एचडीटी के अरबों डॉलर के व्यापार रहस्यों का दुरुपयोग करती है.