युवा वैज्ञानिक और छात्रों को आणविक प्रजनन पर शोध करने की जरूरत : डॉ अरविंद

झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग द्वारा मंगलवार को कृषि फसलों में मार्कर असिस्टेड ब्रीडिंग विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर सेमी एरिड ट्रॉपिक्स (इक्रीसेट) के उपमहानिदेशक डॉ अरविंद कुमार थे।

मौके पर डॉ कुमार ने आधुनिक कृषि के बदलते परिवेश में फसलों के आणविक प्रजनन के महत्‍व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से कम समय में फसलों के प्रभेद को विकसित किया जा सकेगा, जिसमें फसलों के आनुवंशिक विविधता अध्ययन, प्रोटोमिक अध्ययन तथा विशेष जीन को लेकर फसल की विशेषता को बढ़ाया जाना संभव है। उन्होंने विश्वविद्यालय के युवा वैज्ञानिक और शोधरत छात्रों को आणविक प्रजनन पर शोध कार्य करने की आवश्यकता जताई।

व्याख्यान पर समापन टिप्पणी व्यक्त करते हुए बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने कहा कि भारतीय परिवेश में पारंपरिक प्रजनन कार्यक्रम को हटाया नहीं जा सकता। हालांकि आणविक प्रजनन कार्यक्रम से गति लाई जा सकती है।

व्याख्यान का संचालन डॉ नीरज कुमार, स्वागत डॉ सोहन राम और धन्यवाद डॉ सीएस सिंह ने किया। मौके पर इक्रीसेट, हैदराबाद के वैज्ञानिक डॉ मंजूर, बीएयू के डॉ एसके पाल, डॉ डीके शाही, डॉ मणिगोपा चक्रवर्ती, डॉ बीके अग्रवाल, डॉ कृष्णा प्रसाद सहित विभाग के अनेकों वैज्ञानिक एवं पीजी व पीएचडी छात्र भी मौजूद थे।