मौलिक और कानूनी अधिकारों से अवगत हुए केंद्रीय कारा के कैदी

झारखंड
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योगेश कुमार पांडेय

गिरिडीह। केंद्रीय कारा में काराधीन बंदियों के लिए जेल अदालत-सह-कानूनी जागरुकता शिविर का आयोजन रविवार को किया गया। झालसा (रांची) के निर्देश और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह गिरिडीह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्‍यक्ष के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम हुआ। इसमें सचिव (जिला विधिक सेवा प्राधिकार गिरिडीह) संदीप कुमार बर्तम, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सुश्री दर्शना, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी मोहित चौधरी एवं न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी अभिनंदन पाण्डेय उपस्थित थे।

संदीप कुमार बर्तम ने बंदियों को कानून में प्रदत मौलिक अधिकारों के बारे में जानकारी दी। बंदियों द्वारा पूछे गए सवालों का उन्होंने जवाब दि‍या। संविधान प्रदत कानूनी अधिकारों और जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा बंदियों को प्रदान किए जाने वाले विधिक सहायता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बंदियों के जीवन की रक्षा करना जेल प्रशासन एवं न्याय प्रशासन का कर्तव्य है। उन्होंने जेल में प्रतिनियुक्त पारा लीगल वालंटियर्स को भी इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दि‍ए।

जेल पीएलबी को यह निर्देश दिया कि कोविड संक्रमण के दौर में कोई भी बंदी अपने कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं रहे। इसके लिए वे सभी निरंतर आम बंदियों से संपर्क में रहें। यदि किन्हीं को निःशुल्क अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो उसका आवेदन तुरंत कारा प्रशासन के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकार के ईमेल पर भेजें। उन बंदियों को तत्काल विधिक सहायता के तौर पर निःशुल्क अधिवक्ता प्राधिकार के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।

सुश्री दर्शना कहा कि कैदी अपने जीवन के इस क्षण का सदुपयोग करते हुए स्वाध्याय अथवा अन्य रचनात्मक कार्यों में अपने आप को व्यस्त रखें। ताकि आप जब यहां से बाहर निकले, तब समाज में एक सभ्य नागरिक की तरह अपना जीवन यापन व्यतीत करें। मोहित चौधरी एवं अभिनंदन पांडेय ने बंदियों को कारा में प्रदत मूलभूत अधिकार एवं विधिक सहायता के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी।

कार्यक्रम के आयोजन में जेल अधिवक्ता अंजनी कुमार सिन्हा, शमशुल होदा, कारा अधीक्षक, केंद्रीय कारा राजमोहन राजन सहित सभी जेल पीएलबी, न्यायालय कर्मी, जेल कर्मियों की भूमिका रही। कार्यक्रम का संचालन फ्रंट कार्यालय के पारा लीगल वालंटियर दिलीप कुमार ने किया।