पूरे राज्य में सरसों फसल के आच्छादन को बढ़ावा देगा बीएयू : कुलपति

कृषि झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के निदेशालय अनुसंधान द्वारा रांची जिले के सोनाहातु के कुदियामु गांव में सरसों फसल पर प्रक्षेत्र दिवस सह किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। मौके पर गांव के जनजातीय किसान विपद भंजन सिंह मुंडा, लालू सिंह मुंडा, रमेश मुंडा, दिलीप मुंडा एवं तरानी सिंह मुंडा के 8 एकड़ भूमि में सरसों फसल (प्रभेद बिरसा भाभा सरसों-1) पर लगे प्रत्यक्षण स्थल पर प्रक्षेत्र दिवस मनाया गया।

इसमें बीएयू के कुलपति, निदेशक अनुसंधान, आनूवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग (जीपीबी) के वैज्ञानिकों का दल एवं भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क), मुंबई के वैज्ञानिकों का दल, गांव के मुखिया, ग्राम प्रधान और किसानों ने भाग लिया। मौके पर सबों ने बीएयू एवं बार्क वैज्ञानिकों के शोध प्रयास से विकसित बिरसा भाभा सरसों-1 (बीबीएम-1) किस्म के प्रदर्शन को काफी सराहा। गांव की मुखिया, ग्राम प्रधान तथा किसानों ने आगामी रबी मौसम में पूरे गाव इस सरसों किस्म की खेती की इच्छा जताई।

किसान गोष्ठी में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि देश खाद्यान के मामले में आत्मनिर्भर हो चला है, लेकिन देश को अब भी भारी मात्रा में खाद्यान तेल का आयात करना पड़ता है। राज्य के धान की परती भूमि में बीबीएम-1 किस्म का प्रदर्शन काफी उत्साहजनक रहा है। आगामी रबी मौसम में निदेशालय अनुसंधान द्वारा जिलों में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से पूरे राज्य में सरसों किस्म बीबीएम-1 के आच्छादन को बढ़ावा दिया जायेगा। उन्होंने वैज्ञानिकों को सोनाहातु के कुदियामु गांव का सर्वे एवं समीक्षा एक सप्ताह में करने, मार्च माह में खरीफ फसलों की वैज्ञानिक खेती पर प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा गांव को अंगीकृत करने, किसानों को सभी तकनीकी सहयोग एवं मार्गदर्शन देने और आगामी रबी मौसम में पूरे गांव में सरसों फसल का शत प्रतिशत आच्छादन की बात कही।

बार्क, मुंबई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एसजे जामुलकर ने कहा कि बार्क परमाणु उर्जा के उपयोग से अनेकों फसल किस्में विकसित की है। बिरसा एवं भाभा जैसे देश के दो महान विभूति के नाम से सरसों किस्म बीबीएम-1 को भी परमाणू उर्जा के उपयोग से विकसित किया गया है। राज्य में इस किस्म का प्रदर्शन काफी बेहतर देखने को मिला है। इस किस्म की खेती से किसान आधा एकड़ में 15-20 हजार शुद्ध मुनाफा कमा सकते है।

निदेशालय अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने कहा कि शोध कार्य से देश के कृषि का काफी विकास हुआ है। इसका पूरा श्रेय देश के किसानों को जाता है, लेकिन आज किसान खेती किसानी के प्रति उदासीन है। उनका रूझान कम हुआ है। वैज्ञानिक तरीके को अपनाकर खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है। उन्होंने कुलपति के निर्देश पर पूरे गांव को अंगीकृत करने, सर्वे के लिए वैज्ञानिक दल का गठन और किसानों को मुफ्त बीज उपलब्ध कराने की घोषणा की। कहा कि‍ कृषि सभी को रोजगार देने वाला उद्यम एवं स्वरोजगार का बेहतर विकल्प है। उन्होंने किसानों को लाभकारी कृषि कार्य से जुड़ने की बात कही।

बार्क की वैज्ञानिक डॉ अर्चना राय ने बीबीएम-1 को कम लागत में अच्छी पैदावार एवं बढ़िया लाभ देने वाला किस्म बताया। किसानों को सरसों की खेती के प्रति जागरूक किया। पूर्व अध्यक्ष (जीपीबी) डॉ जेडए हैदर ने बीएयू एवं बार्क के संयुक्त प्रयास से विकसित बीबीएम-1 के विकास क्रम पर प्रकाश डाला।

मौके पर मुखिया सुभद्रा देवी ने सरसों फसल के प्रदर्शन को देखते हुए किसानों को बंजर एवं परती भूमि में सरसों की खेती, विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गये उन्नत बीज के बदले दोगुनी बीज देने और पूरे प्रखंड में कृषि तकनीकी जागरुकता की आवश्यकता पर बल दिया।

राजेश कुमार श्रीवास्तव ने जैविक कृषि के माध्यम से गांव की खेती को बढ़ावा के बारे में बताया। मौके पर दिलीप मुंडा एवं आशीष जेम ने भी अपने विचार रखे। 

कार्यक्रम का आयोजन आईसीएआर राई-सरसों अनुसंधान निदेशालय, राजस्थान द्वारा प्रायोजित सरसों परियोजना के जनजातीय उपयोजना के अधीन किया गया।

स्वागत करते हुए अध्यक्ष (जीपीबी विभाग) डॉ सोहन राम ने राज्य में तेलहनी फसलों की खेती में संभावना पर प्रकाश डाला। संचालन परियोजना अन्वेंषक डॉ अरुण कुमार और धन्यवाद डॉ मणिगोपा चक्रवर्ती ने किया। मौके पर डॉ कृष्णा प्रसाद, डॉ जय लाल महतो, डॉ नीरज कुमार, डॉ एनपी यादव, डॉ विनय कुमार, डॉ सूर्य कुमार, डॉ एमके बर्नवाल, डॉ कमलेश कुमार, डॉ एखलाख अहमद, डॉ शीला बारला, डॉ सुप्रिया सुरिन, एचएन दास आदि मौजूद थे।