रांची। सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया है। अपने चार पन्ने के इस्तीफा पत्र में उन्होंने कई मामले उठाये हैं। भोजपुरी, मगही के अलावा कई अन्य भाषाओं को भी बाहरी करार दिया है। सरकार पर कई आरोप लगाये हैं। पूर्व विधायक और उनकी पत्नी सीमा देवी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
पूर्व विधायक ने लिखा है कि किसी भी राज्य की मूल भाषा वहां के रैयतों द्वारा बोली जाने वाली मातृभाषा होती है। झारखंड में राज्य के बाहर की भाषा भोजपुरी, मगही, अंगिका, ऊर्दू बंगला, उड़िया को क्षेत्रीय भाषा के रूप में संवैधानिक दर्जा देने के फलस्वरूप यहां के मूल-रैयतों की मातृभाषा विलुप्त और हाशिए पर जाना शत प्रतिशत तय हो गया है। इस नियमावली के आधार पर प्रवासियों को झारखंड में तुष्टिकरण के तहत आमंत्रित कर तृतीय और चतुर्थ वर्गीय नौकरियों में प्राथमिकता के साथ अवसर देकर प्रोत्साहित करना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।
महतो ने लिखा है कि आज के परिपेक्ष्य में झारखंड एवं झारखंडियों का उत्थान के साथ सर्वागीण विकास अवरुद्ध हो गया है। भाषायी अतिक्रमण को प्रोत्साहित कर नियोजन नीति में पूरे देश के अभ्यर्थियों के लिए तुष्टिकरण के तहत झारखंड में किसी भी तिथि में आकर दसवीं, बारहवीं उत्तीर्ण करने वालों के लिए द्वार खोलने से मूल रैयत की भावना के विपरित हक अधिकार से वंचित होना सुनिश्चित हो चुका है।
पूर्व विधायक ने कहा कि राज्य में बगैर स्थानीय और नियोजन नीति परिभाषित किए 75% निजी क्षेत्रों में आरक्षण का कानून बनाया गया है। वर्त्तमान में गुरूजी की मूल भावना और पार्टी संविधान के विपरीत झारखंडी विरोधी फैसले सरकार ले रही है, जिससे आहत हूं। अपने राजनैतिक सफर में नैतिकता और झारखंडी मानसिकता का परिचय देते हुए कभी भी झारखंडी हितों से समझौता नहीं किया।
इसके फलस्वरूप तत्कालीन गैर झारखंडी मानसिकता वाली भाजपा-आजसू पार्टी समर्थित सरकार द्वारा CNT-SPT Act के संशोधन के खिलाफ मुखर होकर उग्र विरोध के कारण विधानसभा सदन से निलंबित भी हुआ। समझौतावादी विचारों से इतर मानसिकता रखने के कारण राजनीतिक साजिश के तहत विधानसभा की सदस्यता भी गंवाया। वर्तमान सरकार द्वारा मूलवासियों की भूमि लूटने के लिए लैंड पुल कानून बनाया गया है, जो झारखंडियों का रक्षा कवच CNT-SPT Act. को तार-तार करने वाला कानून है। झारखंडी हितों और जनभावना के खिलाफ है। सरकार के इस निर्णय से भी मैं काफी आहत हूं।
महतो ने कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में वर्ष 2019 में सरकार गठन के बाद सरकार, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और हर स्तर पर झारखंडीहित में खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति परिभाषित करने को लेकर मुखरता से लगातार आग्रह करता रहा हूं। हालांकि सरकार गठन के दो वर्ष बीतने के बावजूद अब तक झारखंडी हित में खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति परिभाषित नहीं होने से आहत होकर मैंने 20 जनवरी 2022 को सोशल मीडिया के माध्यम से गुरूजी की भावना, पार्टी संविधान एवं झारखंडियों की मूल भावना व राज्य के नवनिर्माण के उद्देश्य से खतियान आधारित स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति परिभाषित 20 फरवरी, 2022 तक करने का आग्रह किया था। इस विषय पर सरकार ने अब तक गंभीरता से कोई ठोस पहल नहीं किया, जिससे मैं आहत हूं। झारखंडी मूल भावना से समझौता नहीं करते हुए अपने घोषणा पर अडिग रहते झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के सभी संवैधानिक पदों सहित प्राथमिक सदस्यता एवं दायित्वों से इस्तीफा देता हूं।