कार्यशाला में बोले एडीजी अरिमर्दन सिंह- हमें अपने कार्यालय में शत प्रतिशत कार्य हिंदी में करने के प्रति रहना चाहिए तत्पर

झारखंड
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रांची। पत्र सूचना कार्यालय एवं प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो, रांची, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से आज 23 फरवरी 2022, बुधवार को संयुक्त रूप से राजभाषा हिंदी के सम्यक प्रचार प्रसार के लिए एक दिनी हिंदी संगोष्ठी एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला को राजधानी के जाने-माने पत्रकारों एवं राजभाषा के जानकारों ने संबोधित किया।

राजभाषा अधिनियम/नियम/ हिंदी का प्रगामी प्रयोग/ टिप्पण एवं प्रारूप लेखन जैसे सरकार के कामकाज से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर आयोजित इस कार्यशाला में सभी वक्ताओं का स्वागत करते हुए पीआईबी – आरओबी, रांची के अपर महानिदेशक अरिमर्दन सिंह ने कहा कि झारखंड एक क- क्षेत्र वाला राज्य है, इसलिए हमें अपने कार्यालय में शत प्रतिशत कार्य हिंदी में करने के प्रति तत्पर रहना चाहिए। हिंदी में शब्दावली काफी समृद्ध है। हमारे यहां हर एक रिश्ते के लिए अलग-अलग शब्द हैं, जो कि हमें दूसरी भाषाओं खासकर अंग्रेजी, जिसका हम काफी प्रयोग करते हैं, में नहीं मिलता है। आजादी के बाद से हिंदी के प्रचार प्रसार एवं विकास पर काफी कार्य हुआ है और हिंदी ने कई अन्य भाषाओं के शब्दों को भी आत्मसात किया है और इस बदलते दौर में अपने आप को समसामयिक रखा है। हम देखें, तो हमारे प्रधानमंत्री भी हिंदी में ही अपना संबोधन देते हैं और देश विदेश में भी वह हिंदी के प्रयोग के प्रति लगातार कार्य करते रहे हैं।

राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग विषय पर अपनी बात रखते हुए झारखंड के जाने-माने पत्रकार एवं प्रभात खबर रांची के संपादक संजय मिश्र ने कहा कि आजकल अखबारों में प्रयोग की जाने वाली हिंदी में काफी अशुद्धियां पाई जा रही हैं और हिंदी का नाम खराब करने में यह हम जैसे अखबार में कार्य करने वाले लोगों को एक अपराध बोध से ग्रसित करती है। कई अखबारों में तो अंग्रेजी के शब्दों के साथ उनके व्याकरण को भी हिंदी में जस का तस प्रयोग किया जा रहा है। हम देख रहे हैं कि अखबारों में अर्धविराम का उपयोग लगभग समाप्त हो गया है। आने वाले समय में अगर हमें हिंदी को और सशक्त और समृद्ध बनाना है, तो अधिकारियों को स्थानीय बोलियों के शब्दों का प्रयोग मुख्य भाषा में करने के प्रति तत्पर रहना होगा। पूर्व में हमने देखा है कि खास करके संसद में बहुत ही अच्छे अनुवादक रहे हैं, जिन्होंने हिंदी के कुछ बेहतरीन शब्द दिए, लेकिन इस तरह के कार्य अब विरले ही दिखते हैं। हालांकि मैं यह बात जरूर मानूंगा कि सोशल मीडिया के इस दौर में हिंदी में लिखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और हिंदी में लिखना और बोलना भी अब काफी आसान हो चला है।

झारखंड के जाने-माने वरीय पत्रकार और हिन्दी दैनिक फ्रीडम फाइटर के संपादक, झारखंड विष्णु शंकर उपाध्याय ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा है कि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। इसलिए हमें हिंदी के प्रचार प्रसार एवं सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हिंदी अपने आप में काफी समृद्ध भाषा है हमें बस यह कोशिश करनी है कि हम इसे कैसे जस का तस बरकरार रखें। साथ ही हमें हिंदी के ऊपर होने वाली विभिन्न कार्यशाला एवं गोष्ठियों में जो मुद्दे रखे जाते हैं, उन्हें आत्मसात करने की जरूरत है। 14 सितंबर को जो हम हिंदी दिवस मनाते हैं वह सिर्फ एक आयोजन बनकर न रह जाए।

आकाशवाणी समाचार केंद्र रांची के उप निदेशक अब्दुल हमीद ने अपने विचार रखते हुए कहा कि समाचार माध्यम होने के नाते हम आसान शब्दों के प्रयोग पर विशेष बल देते हैं, ताकि हमारा श्रोता जो कि एक आम व्यक्ति हो सकता है। उसके साथ-साथ समाज के खास तबके के लोग भी हमारी भाषा को समझ सकें।

वहीं आयकर विभाग रांची में राजभाषा अधिकारी के रूप में कार्यरत सूर्यकांत श्यामल ने कार्यालयों में हिंदी के उपयोग पर विस्तार में संगोष्ठी में भाग लेने वाले सभी लोगों को जानकारी दी। उन्होंने संविधान में हिंदी से जुड़े हुए अनुच्छेद 343 से लेकर 351 के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने राजभाषा आयोग तथा संसदीय राजभाषा समिति, क्योंकि हर 5 साल में सरकार के कार्यालयों में हो रहे हिंदी संबंधी कार्य का निरीक्षण करती है, उसके बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे क क्षेत्र में हिंदी में प्राप्त पत्र का जवाब हिंदी में ही देना अनिवार्य है तथा क क्षेत्र के कर्मचारियों को अपना 100% पत्राचार हिंदी में ही करना वांछनीय होता है।

इससे पूर्व कार्यशाला की शुरुआत करते हुए प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो रांची के कार्यालय प्रमुख शाहिद रहमान ने फूलों के गमले देकर सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस कार्यशाला का संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी डालटनगंज गौरव पुष्कर ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी गुमला महविश रहमान ने किया। संगोष्ठी के आयोजन में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी धनबाद ओंकार नाथ पांडेय ने भी अपना योगदान दिया।

इस कार्यशाला में पत्र सूचना कार्यालय एवं प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो, रांची के अधिकारियों- कर्मचारियों के अलावा इसके अधीनस्थ दुमका, धनबाद, गुमला एवं डालटनगंज में स्थित क्षेत्रीय लोकसंपर्क ब्यूरो के कर्मचारी एवं अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।