ध्यान से दिनचर्या एवं जीवन शैली में स्थाई संतुलन बनाया जा सकता है : डॉ कुमार

झारखंड
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रांची। रांची विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई और हार्टफुलनेस संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला (28 जनवरी से 30 जनवरी) का आयोजन किया गया। समापन समारोह की मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ कामिनी कुमार थी।

डॉ कुमार ने कहा कि ध्यान से अपनी दिनचर्या एवं जीवन शैली में स्थायी रूप से संतुलन बनाया जा सकता है। आज के भागमभाग जीवन में कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आज जरूरत सकारात्मक सोच, ध्यान, मुस्कराहट, योग से जुड़ने की है। कोई व्यक्ति आंतरिक भावना एवं अंतर्मन से स्वयं प्रेरित होकर दूसरे के चेहरे पर मुस्कान लाएं तो उसे शांति की अनुभूति सहज प्राप्त होती है।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुकुंद चंद्र मेहता ने कहा कि खुश रहना सबके लिए जरूरी है। दूसरों को खुश रखने के लिए सकारात्मक प्रयास करने से संतुष्टि मिलती है। उन्होंने कहा कि अपनी जीवन शैली में योग, ध्यान और सकारात्मक विचार को शामिल करने से आंतरिक संतुष्टि के साथ ताजगी का एहसास होता है।

डीएसडब्ल्यू डॉ राजकुमार शर्मा ने कहा कि हार्टफुलनेस एक ऐसी जीवन चर्या है, जो हमें अपनी आंतरिक भावना और प्रेरणाओं से मार्गदर्शन पाना सिखाता है। आज व्यस्त एवं तनाव से भरे जीवन में स्वयं मुस्कराएं एवं दूसरों की मुस्कराहट का कारण बनने से आत्मीय खुशी मिलती है।

एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ ब्रजेश कुमार ने कहा कि हार्टफुलनेस ध्यान और जीवन चर्या से संबंधित अभ्यासों का एक समूह है, जिसका उद्गम राजयोग की प्राचीन परंपराओं से हुआ है।

हेटफुलनेस संस्था के रिसोर्स पर्सन के रूप में रिक्तिका स्वरूप, शीला सिंह, मुकेश तनेजा, सुधांशु पाठक, उत्कर्षा जैन ने जीवन में शांति, खुशहाली एवं ताजगी के कई टिप्स बताएं। तीन दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला में रांची विश्वविद्यालय के 18 महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय विभागों के 297 एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी एवं स्वयंसेवक शामिल हुए।

कार्यशाला में एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी क्रमशः डॉ कुमारी उर्वशी, डॉ सुषमा एक्का, डॉ भारती द्विवेदी, डॉ निर्मला सैमुअल, अनुभव चक्रवर्ती, हेमंत कुमार ने भी अपने विचार रखें। स्वयंसेवक दिवाकर, प्रिंस, दिनकर, आभास, फलक, नेहा, श्रद्धांजलि, पवन आदि ने सुझाव भी दिए।