रांची। झारखंड एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ के आह्वान पर सभी स्वास्थ्यकर्मी विभिन्न मांगों को लेकर 24 जनवरी को सिविल सर्जन कार्यालय का घेराव और सांकेतिक हड़ताल किया। सिविल सर्जन को मांग पत्र सौंपा। मांगें पूरी नहीं होने तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने की बात कही।
संघ के अध्यक्ष पवन कुमार और महासचिव कार्तिक उरांव ने बताया कि एमपीडब्ल्यू की बहाली 2008 में हुई थी। लगभग 13 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक उनका समायोजन विभाग में नहीं किया गया है। बीते 6 वर्ष के दौरान मानदेय में एक रुपए की वृद्धि तक नहीं की गई है। एमपीडब्ल्यू अपने मूल कार्य के अलावा इस कोरोना काल में फ्रंट वर्कर के रूप में काम कर रहे है। यह विभाग एवं राज्य सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।
संघ ने कहा कि जब तक एमपीडब्ल्यू की सभी मांगें मानी नहीं जाती है, तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। मांगें पूरी नहीं होने पर राज्य के सभी एमपीडब्ल्यू पूर्ण रूप से हड़ताल पर जा सकते है। सरकार और विभाग के उदासीन रवैया को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री का भी घेराव किया जा सकता है।
महासंघ के महासचिव सुनील कुमार साह ने बताया कि लगातार आंदोलन के बाद भी विभाग और सरकार के उदासीनता रवैया के कारण कर्मियों मे रोष व्याप्त है।
संघ की मुख्य मांगें
1. राज्य के सभी एमपीडब्ल्यू को आरसीएच की तर्ज पर अति शीघ्र विभाग में समायोजन किया जाए।
2. विभाग में समायोजन होने तक वेतन में वृद्धि की जाए। इस पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त है।
3. प्रदेश अध्यक्ष पवन कुमार पर एसडीओ खूंटी द्वारा किये गये अभद्र व्यवहार के लिए उनपर नियम संगत कानूनी कार्रवाई की जाए।
4. कोरोना का कार्य कर रहे सभी एमपीडब्ल्यू स्वास्थ्य कर्मियों का 50 लाख रुपए का जीवन बीमा किया जाए।
5. कोरोना का कार्य कर रहे सभी एमपीडब्ल्यू को 2020 की तरह एक माह का अतिरिक्त वेतन दिया जाए।
6. कोरोना कार्य में लगे सभी एमपीडब्ल्यू को डीए/टीए की व्यवस्था की जाए।