बीएयू ने अपनी कृषि तकनीकों से युक्त व्यापक दस्तावेज की प्रकाशित

कृषि झारखंड
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  • राज्य के किसानों के लिए उपयुक्त 150 से अधिक तकनीकी है शामिल
  • कृषि मंत्री ने विद्यार्थी, रणनीतिकार एवं हितकारकों के लिए बताया उपयोगी 

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक वर्ष, 1981 से गहन शोध के माध्यम से झारखंड की विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी में किसानों के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी विकास में निरंतर लगे हैं। वर्षो के शोध में वैज्ञानिकों को फसल प्रबंधन, वानिकी एवं पशुपालन के विभिन्न पहलुओं पर अनेकों तकनीकों को विकसित करने में सफलता मिली है। इसे पहली बार विवि के निदेशालय अनुसंधान ने विकसित तकनीकी को संग्रहित एवं संकलित कर ‘कम्पेंडियम ऑफ टेक्नोलॉजीज’ नामक पुस्तक प्रकाशित की है। विवि की ओर से निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने शुक्रवार को इसे कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख को समर्पित किया।

कृषि मंत्री ने बीएयू के वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों के शोध में विकसित तकनीकों को संकलित कर पहली बार प्रकाशित करने के पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि बीएयू के कृषि तकनीकी मार्गदर्शन में राज्य कृषि विकास की ओर निरंतर आगे बढ़ रहा है। राज्य में किसानों के उपयुक्त प्रौद्योगिकी के प्रभावी तकनीकी हंस्तांतरण की नितांत आवश्यकता है। यह कृषि तकनीकी ग्रन्थ से राज्य के कृषि वैज्ञानिक, विद्यार्थी, रणनीतिकार, प्रसारकर्मी एवं हितकारकों के लिए उपयोगी साबित होगी। 

निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने बताया कि 41वें रबी शोध परिषद् की बैठक में कृषि सचिव अबू बकर सिद्दीख पी ने इसका विमोचन किया था। इस पुस्तक में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों के अनुसंधान परिणाम और परीक्षणों के आधार पर विभिन्न फसलों की बेहतर उत्पादकता और उत्पादन के लिए उच्च उपज क्षमता, रोग कीट के प्रति प्रतिरोध/सहिष्णुता और सुखा सहिष्णु अनेकों किस्में विकसित की गई है। हाल ही में झारखंड राज्य किस्म विमोचन समिति की सिफारिश पर केंद्रीय किस्म विमोचन समिति, नई दिल्ली द्वारा विवि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित आठ फसलों की दस किस्में जारी और अधिसूचित की हैं।

इस पुस्तक में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह के निर्देश पर विवि के अनुसंधान निदेशालय के प्रयास में नई किस्मों सहित 150 से अधिक तकनीकों का संकलन किया गया है। इनमें बीएयू के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए फसल उत्पादन, मिट्टी प्रबंधन, कृषि मशीनरी, पशु नस्ल सुधार, उनके स्वास्थ्य और पोषण प्रबंधन, रोग और निदान, मांस प्रसंस्करण, वन प्रबंधन, जैव प्रौद्योगिकी, मत्स्य पालन, फसल उत्पादों का मूल्यवर्धन एवं प्रसंस्करण से संबंधित उपयोगी प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। ये सभी प्रौद्योगिकियां आईसीएआर, राज्य सरकार, केंद्र सरकार और अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं के तहत विकसित की गई है।

इनमें अनेकों ऐसी प्रौद्योगिकियां भी है, जो किसानों द्वारा व्यवहार में हैं। कुछ प्रौद्योगिकियां अभी तक किसानों तक नहीं पहुंच पाई हैं। अब तक किसानोपयोगी ऐसी किस्म और प्रौद्योगिकियों का विश्वविद्यालय द्वारा दस्तावेजीकरण नहीं हो पाया था।

कुलपति ने बताया कि राज्य हित में कृषि एवं इससे संबद्ध सभी महत्वपूर्ण तकनीकों से युक्त व्यापक दस्तावेज की नितांत कमी थी। इस पृष्ठभूमि में संस्थान की स्थापना के बाद से वैज्ञानिकों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के संग्रह को प्रकाशित करने के लिए अनुसंधान निदेशालय का प्रयास बहुत ही सराहनीय है।