पलामू। एक ऐसा पेड़ जो एक दिन में 18 हजार लीटर पानी पी जाता है। यह सुनने में बात हैरान करने वाली है, लेकिन यह उतना ही सच है। किसी जमाने में जंगल भरने के लिए यूकेलिप्टस का पेड़ लगाया गया था, पर अब यह अभिशाप बनता जा रहा है।
पलामू समेत देश के कई इलाकों में यूकेलिप्टस के पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। यूकेलिप्टस का पेड़ भारत में सन 1790 में सबसे पहले कर्नाटक के इलाके में राजा टीपू सुल्तान ने लगाया था। उसके बाद 1955-60 में देश में जंगल को बढ़ाने के लिए और खाली जमीन को भरने के लिए यूकेलिप्टस का पेड़ लगाया जाने लगा।
धीरे-धीरे यह पेड़ भारत के कई हिस्सों में फैल गया और आज यह देश के कई इलाकों में जंगल का रूप ले चुका है। यूकेलिप्टस का पेड़ जमीन का पानी सोख रहा है। पलामू में यूकेलिप्टस के पेड़ों से भूगर्भ जलस्तर कम हो रहा है। यूकेलिप्टस का पेड़ प्रतिदिन करीब 18 हजार लीटर भूगर्भ जलस्तर को कम कर देता है।
वन राखी मूवमेंट के नेता सह पर्यावरणविद् कौशल किशोर जायसवाल ने बताया कि वह झारखंड सरकार से इसे हटाने की मांग कर चुके हैं। सरकार इसे प्रतिबंधित भी कर चुकी है। उन्होंने बताया कि अधिकतर पेड़ अंदर से मजबूत होते हैं लेकिन यूकेलिप्टस का पेड़ बाहर से मजबूत होता है, जिस कारण यह जलस्तर को काफी तेजी से खींचता है।
यूकेलिप्टस का पेड़ भूगर्भ जलस्तर को काफी कम कर देता है। उन्होंने बताया कि यूकेलिप्टस का पेड़ झारखंड के लिए अभिशाप बन चुका है।