सरकारी स्‍कूलों में 3 घंटे की होगी शिक्षक-अभिभावक बैठक, इन मुद्दों पर करनी है चर्चा

झारखंड शिक्षा
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  • 20 से 23 दिसंबर तक करनी है बैठक, निदेशक ने जारी किया निर्देश

रांची। झारखंड के सरकारी स्‍कूलों में 3 घंटे तक शिक्षक-अभिभावकों की बैठक होगी। बैठक की तारीख और चर्चा के मुद्दे भी तय हो गये हैं। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् की निदेशक किरण कुमारी पासी ने निर्देश जारी किया है। उन्‍होंने सभी जिला शिक्षा अधीक्षक-सह-अपर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी समग्र शिक्षा को पत्र भेजकर इसकी जानकारी दी है।

निदेशक ने पत्र में लिखा है कि कोविड-19 का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर पड़ा है। लंबे समय से विद्यालयों के बंद होने के कारण बच्चों की दैनिक दिनचर्या में काफी परिवर्तन हुए हैं। बदले हुए माहौल में माता-पिता और शिक्षकों को एक-दूसरे के साथ समन्‍वयन कर बच्चों के शिक्षा में हुए अंतराल को कम किया जा सकता है।

निदेशक ने लिखा है कि इसी क्रम में विद्यालय और समुदायों का आपस में जुड़ाव जरूरी है। अतः माता-पिता एवं अभिभावक का समय-समय पर विद्यालयों में चल रहे बेहतर प्रयासों को जानना एवं बच्चों की शिक्षण क्षमता के स्तर के विषय पर शिक्षक से चर्चा करना महत्वपूर्ण कार्य है। छात्रों का नामांकन, नियमित उपस्थिति एवं लर्निंग गैप को कम करने के लिए माता-पिता की सकारात्मक पहल के लिए अभिभावक शिक्षक बैठक का आयोजन करना आवश्यक हो गया है।

अभिभावक शिक्षक बैठक पूरे राज्य में 20 दिसंबर से 23 दिसंबर, 2021 के बीच की जानी है। अभिभावक शिक्षक बैठक की अवधि तीन घंटे की होगी। निदेशक बैठक को लेकर अवधारणा पत्र एवं आदर्श संचालन के लिए मार्गदर्शिका भी जारी किया है।

बैठक का स्‍वरूप

कार्यक्रम का उद्देश्य, मुद्दा एवं अभिभावकों की भागीदारी का संक्षिप्त प्रस्तुति। बाल संसद के सदस्यों का स्वागत एवं मुख्य अतिथि का अभिभाषण।

जागरुकता गीत और माता-पिता एवं बच्चों के बीच मनोरंजक खेल आदि।

ये है मुख्‍य मुद्दा

छात्र उपस्थिति : नियमित उपस्थिति के महत्व को बार-बार दोहराना। प्रयास कार्यक्रम पर चर्चा। अधिक उपस्थिति वाले बच्चों को प्रोत्साहित करना।

बच्चों के सीखने की प्रगति पर चर्चा।

माता-पिता द्वारा घर में स्व-अध्ययन में सहयोग पर चर्चा।

छात्रों को मिलने वाली अनिवार्य सुविधाओं के बारे में विस्तृत चर्चा करना।

कोविड-19 के मानकों एवं सामाजिक व्यवहार पर चर्चा।

विद्यालय की स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्‍व बताना एवं पालन करना।

बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए घर पर माता-पिता की भूमिका आदि

विद्यालय के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम (नृत्य/सस्वर कविता पाठ आदि)

अभिभावक/ग्राम सभा का कार्यकारी सदस्य/विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों का अनुभव साझा।

पूर्ववर्ती छात्रों की सूची तैयार करना। उनसे विद्यालय के विकास में सहयोग के लिए संपर्क करने की रणनीति तैयार करना।

स्वैच्छिक दान के लिए समुदाय को प्रोत्साहित करना।