बेमौसमी सब्जी उत्पादन के महत्व को किसानों को बताना होगा : कुलपति

कृषि झारखंड
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  • केवीके वैज्ञानिकों का बागवानी तकनीकी से किसानों की आय दोगुनी करने पर प्रशिक्षण 

रांची। किसानों की आय बढ़ोतरी में सब्जी उत्पादन सबसे सक्षम माध्यम है। देश में किसानों की आय दोगुनी करने में नवीनतम सब्जी उत्पादन प्रौद्योगिकी का अहम् योगदान है। कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों को बागवानी फसलों की लाभकारी कृषि में उन्नत तकनीकों का सही एवं समय पर उपयोग और बेमौसमी सब्जी उत्पादन के महत्‍व को किसानों को बताना होगा। उक्त बातें कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने गुरुवार को ‘बागवानी तकनीकी से किसानों की आय दोगुनी’ विषय पर आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण के समापन के अवसर पर कही।

कुलपति ने कहा कि हर केवीके में मदर प्लांट नर्सरी को पुनर्जीवित करने और पौध सामग्री व नर्सरी उत्पादन पर विशेष ध्यान दें। टिश्यू कल्चर तकनीक से उत्पादों को आगे बढ़ाएं। जिला स्तर पर उद्यान क्षेत्र के विकास में गति लाने के लिए स्थानीय हार्प पलांडू एवं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी संस्था के वैज्ञानिकों से सहयोग ले। केंद्र के गतिविधियों में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के कार्यक्रमों के समावेश का प्रयास करें।

निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने कहा कि राज्य में उद्यान क्षेत्र के विकास को गति देने के उद्देश्य से इस प्रशिक्षण आयोजन किया गया। कुलपति के निर्देश पर केवीके वैज्ञानिकों के लिए फरवरी माह तक लाभकारी कृषि के 2 से 3 प्रशिक्षण आयोजित होगी। उन्होंने वैज्ञानिकों को किसानों के खेतों में प्रत्यक्षण के माध्यम से बागवानी तकनीकी के विस्तारीकरण पर जोर दिया।

अपर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एस कर्मकार ने किसानों के बीच बागवानी फसलों और मशरूम उत्पादन की जैविक खेती को प्राथमिकता देने की बात कही। हार्प वैज्ञानिक डॉ विकास दास ने कहा कि जिलों में तकनीकी हंस्तातरण का केवीके प्रभावी माध्यम है। केन्द्रों द्वारा किसानों को उचित तकनीकी मार्गदर्शन से किसानों को लाभ मिलेगा। प्रो डीके रूसिया ने बागवानी में ड्रिप सिंचाई एवं मल्चिंग के नये तकनीकों का समावेश से किसानों को अधिक लाभ मिलने की बात कही।

प्रतिभागियों में डॉ किरण सिंह, डॉ आरती एक्का एवं ई वीपी पांडे ने प्रशिक्षण के दौरान हार्प पलांडू के प्रधान वैज्ञानिक के मार्गदर्शन में हार्प वैज्ञानिकों द्वारा अभिनव बागवानी तकनीकी, उर्वरीकरण एवं जल प्रबंधन की जानकारी को काफी उपयोगी बताया। मौके पर कुलपति एवं अतिथियों द्वारा केवीके वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

प्रशिक्षण में 23 जिलों में केवीके में कार्यरत उद्यान, पौधा संरक्षण, मृदा विज्ञान एवं कृषि अभियंत्रण विषय से जुड़े 30 वैज्ञानिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद डॉ रंजय कुमार सिंह ने किया। मौके पर डॉ अजय कुमार द्रिवेदी, डॉ राकेश रंजन, डॉ एसपी कुमार, डॉ ललित दास, सुरेश महतो, निर्मल कुमार, राजेश सिंह एवं प्रवीण एक्का आदि मौजूद थे।