रांची। दुनियाभर में 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। ये ईसाई धर्म का प्रमुख त्योहार है, लेकिन इसे सभी धर्मों के लोग पूरे उत्साह के साथ सेलिब्रेट करते हैं। इस दिन को ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में सेलिब्रेट किया जाता है।
लोगों का मानना है कि सेंटा आएगा और गिफ्ट्स के रूप में उन्हें ढेर सारी खुशियां देकर जाएगा। दरअसल सैंटा क्लॉज को क्रिसमस के दिन लोग एक देवदूत की तरह देखते हैं, जो स्वर्ग से उनके लिए ढेर सारे गिफ्ट्स लेकर आता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को मैरी क्रिसमस बोलकर बधाई देते हैं।
लोग एक-दूसरे को हैप्पी क्रिसमस क्यों नहीं बोलते? ये सवाल जरूर मन में आता है। दरअसल ये बात 16वीं शताब्दी की है, जब चार्ल्स डिकेंस के उपन्यास ‘ए क्रिसमस कैरल’ में मैरी क्रिसमस शब्द का उल्लेख किया गया। इसमें कहा गया था कि ‘वी विश यू मैरी क्रिसमस’।
इसके बाद से ही लोगों के बीच मैरी क्रिसमस कहने का चलन बढ़ गया और तब से लेकर अब तक यही परंपरा चली आ रही है। क्रिसमस का त्यौहार 25 दिसंबर से शुरू होकर पूरे 12 दिनों तक 5 जनवरी तक मनाया जाता है। ये मान्यता है कि ईसाई धर्म की स्थापना करने वाले प्रभु यीशु का जन्म 25 दिसंबर को ही मरियम के घर हुआ था। इसी खुशी में पूरी दुनिया ये त्योहार मनाती है।