छत्तीसगढ़। रोजगार दिए जाने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र के विस्थापित ग्रामीणों ने एसईसीएल प्रबंधन पर रविवार को हल्ला बोल दिया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा भी इस आंदोलन में उनके साथ थे। ग्रामीण कुसमुंडा खदान के अंदर घुस गए। उन्होंने उत्पादन ठप कर दिया। सुबह 5 बजे से जारी शाम 5 बजे तक खदान ठप रहा। इसके चलते प्रबंधन को 50 करोड़ रुपयों से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है।
एसईसीएल के इस रवैये से गुस्साए सैकड़ों ग्रामीणों ने रोजगार एकता संघ बनाकर राधेश्याम कश्यप, प्रभु दामोदर, रेशम यादव, पुरषोत्तम, रघु, राजेश, मोहनलाल, केशव पांडे, अशोक, दीपक, रामप्रसाद आदि ग्रामीणों के नेतृत्व में खदान में घुस गए। उत्पादन बंद करा दिया। माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक आदि भी आंदोलन स्थल पर पंहुच कर धरने में बैठ गए। कांग्रेस के पार्षद अमरजीत सिंह, शैलेंद्र सिंह, शाहिद कुजूर, अजय प्रसाद तथा विनय बिंझवार भी अपने समर्थकों के साथ ग्रामीणों के साथ आ डटे।
तीन-चार दौर की वार्ता विफल होने पर आंदोलनकारी ग्रामीण उग्र हो गए, जिसके बाद बिलासपुर से पहुंचे। एसईसीएल प्रबंधन के अधिकारियों ने कटघोरा एसडीएम की उपस्थिति में एक माह के भीतर समस्या हल करने का लिखित आश्वासन दिया है। इस बीच ग्रामीणों ने कुसमुंडा कार्यालय पर एक माह तक धरना देने और समस्या का निराकरण नहीं होने पर और उग्र आंदोलन की धमकी दी है।
उल्लेखनीय है कि कुसमुंडा में कोयला खनन के लिए 1978 से 2004 तक जरहा जेल, बरपाली, दूरपा, खम्हरिया, मनगांव, बरमपुर, दुल्लापुर, जटराज, सोनपुरी, बरकुटा, गेवरा, भैसमा सहित कई गांवों के हजारों किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि अधिग्रहण के 40 वर्षो बाद भी भू-विस्थापित रोजगार के लिए भटक रहे हैं। एसईसीएल के दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं।