तुलसी विवाह पर जानें कथा, मंत्र, मुहूर्त और कुछ जरूरी ध्यान रखने योग्य बातें

झारखंड
Spread the love

रांची। तुलसी विवाह का पर्व कुछ जगहों पर 14 नवंबर को मनाया गया, तो कुछ जगहों पर 15 नवंबर को मनाया जा रहा है।

* तुलसी विवाह कथा-*

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता तुलसी ने भगवान विष्णु को नाराज होकर श्राम दे दिया था कि तुम काला पत्थर बन जाओ। इसी श्राप की मुक्ति के लिए भगवान ने शालीग्राम पत्थर के रूप में अवतार लिया और तुलसी से विवाह किया। तुलसी को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। कहीं तुलसी विवाह एकादशी को होता है तो कहीं द्वादशी के दिन तुलसी विवाह होता है। 

* तुलसी विवाह तिथि* – 15 नवंबर 2021, सोमवार * द्वादशी तिथि प्रारंभ* – 15 नवंबर 06:39 बजे  * द्वादशी तिथि समाप्त* – 16 नवंबर 08:01 बजे तक * तुलसी विवाह मुहूर्त * 15 नवंबर 2021: दोपहर 1 बजकर 02 मिनट से दोपहर 2 बजकर 44 मिनट तक.   15 नवंबर 2021: शाम 5 बजकर 17 मिनट से  5 बजकर 41 मिनट तक. 

* इन बातों का रखें ध्यान*

हर सुहागन स्त्री को तुलसी विवाह जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अंखड सौभाग्य और सुख-समृद्धि का प्राप्ति होती है। पूजा के समय मां तुलसी को सुहाग का सामान और लाल चुनरी जरूर चढ़ाएं। गमले में शालीग्राम को साथ रखें और तिल चढ़ाएं। तुलसी और शालीग्राम को दूध में भीगी हल्दी का तिलक लगाएं पूजा के बाद किसी भी चीज के साथ 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें। मिठाई और प्रसाद का भोग लगाएं। मुख्य आहार के साथ ग्रहण और वितरण करें। पूजा खत्म होने पर शाम को भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें। * तुलसी स्तुति मंत्र-* देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

* तुलसी पूजन मंत्र-*

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्। तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।