इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के एक जज मेधावी दलित छात्रा की योग्यता से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने छात्रा की फीस के 15 हजार रुपये अपनी जेब से भर दिए।
छात्रा गरीबी की वजह से समय पर फीस जमा नहीं कर सकी थी, जिसकी वजह से उसका दाखिला आईआईटी में नहीं हो सका। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथारिटी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि छात्रा को तीन दिन के भीतर IIT में दाखिला दिया जाए।
कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई सीट खाली न हो तो उसके लिए अलग से सीट की व्यवस्था की जाए।छात्रा संस्कृति रंजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्होंने BHU को सख्त निर्देश दिए हैं। बता दें कि गरीबी की वजह से छात्रा अपने लिए एक वकील का भी इंतजाम भी नहीं कर सकी थी।
कोर्ट ने कहने पर छात्रा की पैरवी के लिए वकील सर्वेश दुबे और समता राव खुद आगे आए। दोनों ने कोर्ट में छात्रा का पक्ष रखा। दलित छात्रा संस्कृति रंजन ने दसवीं की परीक्षा में 95 प्रतिशत और बारहवीं में 94 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। उसने जेईई मेन्स परीक्षा में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए थे।
बतौर अनुसूचित जाति श्रेणी में उसे 2062 वां रैंक मिला था। उसके बाद उसने जेईई एडवांस की परीक्षा दी। इस परीक्षा में उसको 1469 वीं रैंक मिली थी। इसके बाद IIT बीएचयू में गणित और कम्पयूटर से जुड़े पांच साल के कोर्स के लिए उसे सीट आवंटित हुई थी। लेकिन गरीबी की वजह से वह 15 हजार रुपये एडमिशन फीस नहीं भर सकी थी, समय निकलने की वजह से उसे एडमिशन नहीं मिला था।