दो माह में आता था 300 का बिजली बिल, अचानक विभाग ने थमाया 60 हजार का बिल, जमा नहीं करने पर काटा कनेक्‍शन

झारखंड
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प्रशांत अंबष्‍ठ

गोमिया (बोकारो)। आम तौर पर हर दो माह में उपभोक्‍ता का 300 रुपये का बिल आता था। अचानक बिजली विभाग ने 60 हजार रुपये का बिल थमा दिया। गुहार लगाने पर विभाग के कर्मियों ने अनसुना कर दिया। अंतत: बिल जमा नहीं करने पर बिजली का कनेक्‍शन काट दिया। यह मामला विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (बिजली बोर्ड) तेनुघाट प्रमंडल का है।

गोमिया निवासी मुन्नी देवी (कंजूमर नंबर एसडीएमसी 2488) का हर दो महीने पर औसतन 300 रुपये का बिजली बिल आया करता था। हालांकि स्थानीय लाइनमैन के प्रतिवेदन के आधार पर नवंबर, 2018 में 60583 रुपये का बिजली बिल महिला को भेज दिया गया। बिजली बिल का राशि देख उक्त उपभोक्ता के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई। बिजली बिल की प्रति लेकर वह विद्युत सहायक अभियंता गिरधारी सिंह मुंडा एवं कार्यपालक अभियंता सुरेन्द्र प्रसाद के पास कई बार गई। दोनों पदाधिकारि‍यों के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से तंग आ गई। अंतत: पैसा जमा नहीं करने पर उपभोक्ता का बिजली कनेक्शन काट दिया गया।

अंत में उपभोक्ता ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एवं झारखंड आंदोलनकारी इफ्तिखार महमूद को आपबीती सुनाई। महमूद ने उक्त मामले पर हस्तक्षेप करने पर कार्यपालक अभियंता के निर्देश पर पुराने मीटर की जगह पर नया मीटर 10 सितंबर, 21 को लगा दिया गया। इसकी लिखित सूचना सहायक अभियंता और कार्यपालक अभियंता को दी गयी। कार्यपालक अभियंता ने बिजली चालू करने के लिए आरसीडीसी शुल्‍क 400 रुपये के अतिरिक्त 10,000 रुपये जमा करने का निर्देश उपभोक्ता को दे दिया। उपभोक्ता ने उक्‍त राशि जमा करने में असमर्थता जताई।

महमूद ने कहा कि जिस उपभोक्ता का प्रतिमाह डेढ़ -दो सौ रुपये बिजली बिल आता हो, उससे दस हजार रुपये जमा करने के लिए कहना प्रताड़ि‍त करना है। दस हजार रुपये की शर्त हटाने के लिए कार्यपालक अभियंता उपभोक्ता को ही सहायक अभियंता के कार्यालय से प्रतिवेदन भि‍जवाने की सलाह देते हैं। कार्यपालक अभियंता द्वारा स्वयं प्रतिवेदन मंगाने के बजाय उपभोक्ता को ही प्रतिवेदन भि‍जवाने के लिए कहना ही उसका शोषण करने की मंशा की पुष्टि करता है।

महमूद ने इस मामले में जिला प्रशासन और वितरण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक से हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्‍होंने कहा कि कि मुन्नी देवी का मामला कोई अकेला नहीं है। लाइनमैन के प्रतिवेदन के आधार पर बिल बनाना ही अनियमितता है।