अमानवीयता की हद : बेटा डूब गया, नहीं मिला शव और मुआवजा, लोन रिकवरी के लिए तंग कर रहा बैंक

झारखंड मुख्य समाचार
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गुमला। ये अमानवीयता की हद है। जवान बेटा डूब गया। एक साल बीतने को आये, अब तक शव नहीं मिला है। सरकार की ओर से मुआवजा भी नहीं दिया गया है। मृत्‍यु प्रमाण पत्र जारी नहीं हो रहा है। एजुकेशन लोन रिकवरी के लिए बैंक परेशान कर रहा है। मृतक के माता-पिता ने डीसी को पत्र लिखकर मुआवजा देने की गुहार लगाई है।

15 नवंबर की घटना

यह घटना झारखंड के गुमला शहर से सटे फसिया लक्ष्मणनगर की है। यहां के निवासी भूषण कुमार गिरी एवं उनकी पत्नी कांती देवी का पुत्र सुमित कुमार गिरी 15 नवंबर, 2020 को हीरादह में डूबा गया। आज तक उसकी लाश नहीं मिली है। प्रावधान होने के बाद भी सरकार की ओर से मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है।

उपायुक्‍त को पत्र लिखा

मृतक के अभिभावकों ने उपायुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि मेरा पुत्र सुमित कुमार गिरी रायडीह के हीरादह में डूब गया था। उसका शव नहीं मिलने की स्थिति में भी सरकार के प्रावधान के अनुसार मुआवजा राशि के भुगतान का प्रावधान है। हालांकि घटना के कई माह गुजर गये। अब तक किसी तरह की कोई मुआवजा राशि नहीं मिली है। इससे हम सभी परेशान है l

तीन साथी डूबे थे

पीड़ि‍त ने बताया है कि 15 नवंबर को रायडीह प्रखंड अंतर्गत हीरादह में मेरा पुत्र सुमित कुमार गिरी (28) समेत उसके अन्य दो साथी अभिषेक कुमार गुप्ता और सुनील कुमार भगत डूब गये थे। अभिषेक का शव बरामद हुआ। मेरे पुत्र सुमित एवं सुनील के शव का पता नहीं चल पाया है। गोताखोर (एनडीआरएफ) की टीम बहुत ढूंढने का प्रयास की, लेकिन अब तक मृतक शरीर या कोई नर कंकाल बरामद नहीं कर पाई।

मृत्‍यु प्रमाण पत्र लंबित

पीड़ि‍त ने लिखा है कि मेरे द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र और पारिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र बनाने के लिए भी आवेदन किया गया है। यह लंबित है। ऐसी स्थिति में सरकार के पत्र एवं रुलिंग के आलोक में मुआवजा राशि दी जाय।

बैंक परेशान कर रहा

सुमित कुमार गिरी बीटेक की पढ़ाई कर रहा था। इसके लिए उसने बैंक ऑफ बड़ौदा से लाखों रुपये का लोन लिया था। अब बैंक द्वारा लोन रिकवरी के लिए उसके मां-बाप को परेशान कि‍या जा रहा है। बैंक मैनेजर का कहना है कि मैंने बैंक के हेड ऑफिस को सारी जानकारी दे दी है। हालांकि मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ अभिभावक को लोन क्लीयर करनी पड़ेगी।