डॉ रामेश्वर उरांव को संघ की खुली चुनौती, शिक्षक 14 सितंबर को लगाएंगे काला बिल्‍ला

झारखंड
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रांची। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने सरकारी स्कूलों के प्रति वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव के दि‍ये बयान को गैर जिम्मेदाराना और एकपक्षी बताया है। इसे उनका दि‍वालियापन करार दि‍या है। मंत्री को चुनौती देते हुए संघ ने कहा कि इस मामले में डिबेट करने के लिए 24 घंटे तैयार है। उनके बयान के विरोध में राज्य के प्राथमिक और मध्य विद्यालय के शिक्षकों ने 14 सितंबर को राज्यव्यापी काला बिल्ला लगाकर विरोध दर्ज कराने का निर्णय लिया है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव दिवालियापन में आकर यह बयान दे रहे हैं। उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए, क्योंकि आपने ही तंत्र के बारे में गलत बोलना उचित नहीं है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। संघ ने यह भी कहा कि‍ उनको पता नहीं है कि सरकारी शिक्षक इस कोरोना काल में पीडीएस दुकान से लेकर अस्पताल तक में तैनात थे। क्‍वारंटाइन सेंटर, रेलवे स्‍टेशन, बस स्टैंड, हवाई अड्डा, दवा दुकान, चेक नाका, ऑक्सीजन सेंटर में रहने के साथ-साथ ऑनलाइन प्रशिक्षण देने का काम कर रहे थे।

संघ के पदधारियों ने कहा कि शिक्षकों ने राशन कार्ड के लिए आए नए आवेदनों की भी जांच की। कोविड टेस्ट के लिए कैंप में तैनात रहे। गांव में बाहर से आने वाले लोगों का सर्वे किया। प्रवासी मजदूरों को बसों से जिला और गांव तक पहुंचाया। राज्य की सीमा और टोल प्लाजा पर तक में ड्यूटी की। सड़क पर पुलिस के जवानों के साथ मजिस्ट्रेट की भूमिका में तैनात रहे। बच्चों को पढ़ाई के लिए कंटेंट देने के साथ हर दिन 10 बच्चों का फीडबैक लेते रहे। ऑनलाइन शिक्षा देने के साथ कोविड वैक्सीनेशन सेंटर में ड्यूटी किये। इसके बावजूद उन्‍हें ये सब दिखाई नहीं पड़ रहा है। उनकी नजर में सरकारी शिक्षक ड्यूटी नहीं करते हैं, सिर्फ वेतन लेते हैं।

संघ ने कहा कि इस तरह के बयान से पहले जांच कर लें। उसके बाद ही कुछ बोले। आज की तारीख में पूरे भारत में जिस तन्मयता और ईमानदारी के साथ शिक्षक अपने कार्यों का निर्वहन करते हैं, उतने अधिकारी नहीं करते हैं। दबी जुबान से सब लोग मानते हैं कि जो कार्य शिक्षक करते हैं, वह दूसरे लोग नहीं कर पाते। इसके बाद भी सरकार में बैठे मंत्री लोग शिक्षकों को हेदृष्टि से पता नहीं क्यों देखते हैं। डॉ उरांव आईपीएस के बाद राजनीति में आये हैं। फिर मंत्री बने हैं। कहीं ना कहीं कोई सरकारी शिक्षक ने ही उन्‍हें भी पढ़ाया होगा, यह सच्चाई है। वे निजी और सरकारी विद्यालय की तुलना बंद करें। नहीं तो खुलेआम डिबेट करने के लिए संघ 24 घंटे तैयार है।

संघ ने कहा कि सरकारी स्कूल में शिक्षक बीपीएल और गरीब बच्चों को शिक्षा देते हैं। निजी विद्यालय में अमीर अभिभावक बच्चों को शिक्षा दिलाते हैं। निजी विद्यालय में जो सुविधा है, वह सरकारी स्कूलों में नही है। इसके बावजूद अधिकतर आईएएस और आईपीएस सरकारी स्कूल के ही छात्र होते हैं। नेतरहाट स्‍कूल से पढ़े कई विद्यार्थी वर्तमान में देश भर में आईएएस और आईपीएस के पद पर तैनात हैं। कई झारखंड कैडर में भी हैं। नेतरहाट सरकारी स्‍कूल ही है।

मंत्री के बयान पर निंदा करने वाले असदुल्लाह, दीपक दत्ता, धीरज कुमार, सुनील कुमार, अनिल कुमार, बाल्मीकि कुमार, प्रवीण कुमार, संजय कुमार, अजय ज्ञानी, नंदकिशोर यादव, प्रभात कुमार, अवधेश कुमार, सुधीर दुबे, सुनील, रमेश कुमार दुबे, कृष्णा शर्मा, दिलीप श्रीवास्तव, अमरेश कुमार, अजय कुमार, सुनील कुमार, संजय कांडुलना, उपेंद्र कुमार, महेश्वर घोष, शशि शेखर सिंह, रवि कांत रवि, यदुनाथ टूडू, राजेश गुप्ता, अजय कुमार, जयंत तिवारी, सलीम सहाय, सुरंजन कुमार, रामचंद्र खेरवार, विनोद राम, राजू कुमार, सच्चिनानद सिंह, राजीव लोचन आदि शामिल हैं।