आत्महत्या के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी : डॉ रजीउद्दीन

झारखंड
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  • राधा गोविंद विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

रामगढ़। कोविड-19 के कारण लोगों में चिंता और तनाव बढ़ा है। इससे हर आयु के लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति लगातार बढ़ी है। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए वर्तमान समय में मनोवैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण दायित्व है। इस दिशा में लोगों को जागरूक किया जाना बेहद जरूरी है। उक्त बातें राधा गोविंद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एम रजीउद्दीन ने कही। वे ‘मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली दोहरी तलवार: आत्महत्या और कोविड-19’ विषयक राष्ट्रीय वेबीनार में बोल रहे थे। इसका आयोजन विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग ने किया था।

बतौर वक्ता अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के मनोवैज्ञानिक डॉ अरुणिमा सेनगुप्ता लाहिड़ी और एमआरएम कॉलेज दरभंगा की डॉ शॅावली मित्रा ने कहा कि कटु अनुभवों से उबर कर भविष्य को सुखद और आनंदपूर्ण बनाने की कल्पना आत्महत्या की प्रवृत्ति पर अंकुश लगा सकता है। उन्होंने कहा कि यह जीवन अनमोल है। तमाम चुनौतियों को स्वीकार करते हुए इसे सुखद और सरल बनाना ही मनुष्य का वास्तविक लक्ष्य होना चाहिए, ना कि हारकर आत्महत्या का निर्णय लेना।

इससे पहले विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ निर्मल कुमार मंडल ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के वेबीनार से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए लोगों को जागरूक करने का अवसर मिलता है।

विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका एवं मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ स्मृतिकना घोष ने कहा कि कोविड-19 कारण हर आयु और हर वर्ग के लोगों में हताशा बढ़ा है। ऐसे में यह कार्यक्रम उन्हें जीवन जीने के लिए नई प्रेरणा देगा। मौके पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बैजनाथ शाह ने सामाजिक दायित्व के निर्वहन में मनोविज्ञान विभाग की भूमिका की प्रशंसा की। सुश्री प्रियंका कुमारी ने ऐसे कार्यक्रमों की उपादेयता पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ संजय कुमार, अजय कुमार, प्रेमचंद महतो, नीतीश तिवारी, बुद्धदेव महतो और राकेश तोमर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस वेबीनार में देश विदेश से छात्र-छात्राएं, अध्यापक, मनोवैज्ञानिक और काउंसिलर शामिल हुए। संचालन और धन्यवाद डॉ स्मृतिकना घोष ने किया।