जमशेदपुर। डॉ राजेंद्र प्रसाद के बाद 1962 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1885-1975) भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। साल, 1967 तक वे इस पद पर आसीन रहे, जबकि इससे पहले 1952 से 1962 तक उन्होंने भारत के पहले उप-राष्ट्रपति के रूप में देश को अपनी सेवाएं दी।
शिक्षा के एक विद्वान, एक दार्शनिक और एक रानीतिज्ञ डॉ राधाकृष्णन ने भारतीय शिक्षा पद्धति को सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किया। शिक्षा की शक्ति के साथ युवाओं को उन्नति करने और विश्व को गढ़ने में आगे बढ़ कर योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें 1931 में नाइटहुड समेत 1963 में भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न और 1963 में ब्रिटिश ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद सदस्यता शामिल है।
हर साल डॉ राधाकृष्णन के सम्मान और स्मृति में उनके जन्मदिन 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ राधाकृष्णन ने 4 मई, 1966 में जमशेदपुर का दौरा किया था। वे यहां बोधी सोसाइटी, दलाई लामा द्वारा सहायता प्रदत्त एक सोसाइटी और जमशेदपुर रोटरी क्लब द्वारा स्थापित बोधी टेम्पल का उद्घाटन करने आए थे।
इस अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए डॉ राधाकृष्णन ने कहा था कि राष्ट्र की समृद्धि के लिए शहर में अच्छे कार्य को देख कर उन्हें काफी प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने धर्म के सिद्धांत के रूप में मानवता से प्रेम की बात की, जिसका बुद्ध ने उपदेश दिया और अभ्यास किया। उन्होंने मानवता से प्रेम के इस सिद्धांत का पालन करने आह्वान किया। उन्होंने ध्यान के महत्व को भी रेखांकित किया था।