कोलकाता। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने देश के बिजली क्षेत्र को आपूर्ति बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया है। झारखंड स्थित कंपनी की अनुषंगी कंपनी सीसीएल भी कोयले के उत्पादन, उठाव एवं प्रेषण को बढाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सीएमडी पीएम प्रसाद के साथ-साथ सभी निदेशक भी इसे साकार करने की दिशा में हर दिन विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं।
पिछले तीन दिनों से कंपनी ने बिजली संयंत्रों के लिए अपने उठाव को बढ़ाकर 1.4 मिलियन टन (एमटी) प्रतिदिन कर दिया है। कोल इंडिया के निदेशक (विपणन) ने कहा कि कंपनी ने इसे एक मिशन मोड पर लिया है। कोयले की उपलब्धता और उसकी आपूर्ति में तेजी लाई जाएगी। अक्टूबर से कोयले से चलने वाले संयंत्रों को डिस्पैच का लक्ष्य 1.5 एमटी प्रति दिन है। यह जल्द ही 1.6 एमटी से अधिक हो जाएगा। इससे जल्द ही स्थिति के सामान्य होने की उम्मीद की जा सकती है।
अगस्त के दूसरे सप्ताह में बिजली उत्पादन में अचानक आई तेजी ने कोयले की मांग बढ़ी है। नतीजतन, कोयले की मांग आपूर्ति से आगे निकल गई। इससे बिजली स्टेशनों पर स्टॉक में कमी आई। मानसून की चुनौतियों और बकाया देय राशि का भुगतान नहीं करने के बाद भी कोल इंडिया ने अप्रैल-सितंबर 2021 (28 सितंबर तक) के दौरान बिजली कंपनियों को 243 एमटी कोयले की आपूर्ति की। यह किसी भी वर्ष के लिए इस समय सीमा में अब तक का उच्चतम रिकॉर्ड है।
पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में बिजली उपयोगिताओं को आपूर्ति की गई लगभग 196 एमटी की तुलना में कंपनी ने मात्रा के संदर्भ में 47 एमटी की वृद्धि के साथ 24% की मजबूत वृद्धि दर्ज की। अप्रैल-सितंबर 2019 की कोविड मुक्त अवधि की तुलना में वृद्धि 11% से अधिक थी, जब आपूर्ति 218 एमटी थी। वित्त वर्ष की शुरुआत में कोयले का स्टॉक 28.4 एमटी के संतोषजनक स्तर पर था। जुलाई के अंत में भी बिजली उपयोगिताओं में कोयले का स्टॉक इसी अवधि के पिछले पांच साल के औसत के बराबर 24 एमटी था। अगस्त में बिजली संयंत्रों के स्टॉक में 11 एमटी से अधिक की गिरावट आई।