शैक्षिक महासंघ का प्रयास लाया रंग, प्रोन्‍नति मिलने से दूर होगी शिक्षकों की वरीयता की विसंगति

झारखंड
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रांची। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ झारखंड प्रदेश का प्रयास रंग लगाया। शिक्षकों को प्रोन्‍नति मिलने से अब वरीयता की विसंगति दूर हो जाएगी। शिक्षा विभाग के प्रोन्‍नति संबंधी आदेश जारी करने का संगठन ने स्‍वागत किया है। महासंघ के झारखंड प्रदेश संयोजक आशुतोष कुमार, सह संयोजक विजय बहादुर सिंह, समीर श्रीवास्तव, प्रदेश मीडिया प्रभारी अरुण कुमार दास ने कहा कि विभाग ने राजकीयकृत प्रारंभिक शिक्षक प्रोन्नति नियमावली 1993 के अनुरूप आदेश जारी किया है। यह महासंघ की जीत है। इससे वर्ष 1987, 1988, 1994 एवं 1999-2000 में नियुक्त प्रारंभिक शिक्षकों एवं सभी अनुकंपा शिक्षकों को सभी ग्रेडों में भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति मिल सकेगी।

महासंघ के पदधारियों ने कहा कि आदेश से वर्ष 2000 तक नियुक्त (अनुकंपा शिक्षक सहित) सभी प्रारंभिक शिक्षकों की वरीयता, झारखंड शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2012 द्वारा नियुक्त कक्षा 6 से 8 के शिक्षकों के सापेक्ष भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति दिए जाने के कारण अक्षुण्ण रह सकेगी।

झारखंड शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2012 के अनुसार राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 से 5 और कक्षा 6 से 8 तक के लिए क्रमशः मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान एवं स्नातक प्रशिक्षित वेतनमान के विरुद्ध की गई है। इसके पूर्व प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली 1991 (यथा संशोधित 1993) के अनुरुप प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के लिए मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान के विरुद्ध की जाती थी। उक्त नियमावली में स्नातक शिक्षक वेतनमान के पदों को सिर्फ प्रोन्नति से भरे जाने का प्रावधान था।

पदधारियों ने कहा कि राज्य में वर्षों से प्रोन्नति लंबित रहने के फलस्वरूप वर्ष 2016 में स्नातक प्रशिक्षित वेतनमान के पदों के विरुद्ध नियुक्त शिक्षकों से पूर्व के शिक्षकों की वरीयता प्रभावित हो रही थी। इसके कारण कनीय शिक्षक वरीयता क्रम में आगे हो जा रहे थे, जो बड़ी विसंगति थी। उक्त विसंगतियों से राज्य की शिक्षा एवं शिक्षक हित में पड़ने वाले प्रतिकूल दूरगामी प्रभाव को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा राज्य सरकार के सभी सक्षम पदाधिकारियों के समक्ष सभी साक्ष्यों के साथ बारंबार विभिन्न ज्ञापन और वार्ता के क्रम में प्रभावी तरीके से रखा गया था।

पदधारियों ने कहा कि 18 अगस्त, 2021 को शिक्षा सचिव द्वारा विभिन्न संगठन के प्रतिनिधियों के साथ आहूत बैठक में महासंघ के प्रतिनिधि विजय बहादुर सिंह ने प्रोन्नति नियमावली 1993 के अनुरूप सभी बिंदुओं पर विस्तृत रूप से अपनी बातें रखी थी। इसके बाद 26 अगस्त, 2021 को प्रोन्‍नति संबंधी पत्र निर्गत किया गया। महासंघ ने इसे राज्य के शिक्षा एवं शिक्षक हित में बताया है। साथ ही, सरकार से अपील किया कि प्रधानाध्यापक विहीन हो चुके राज्य के विद्यालयों में प्रोन्नति देकर वहां पठन पाठन के साथ सभी कार्यालय संबंधी कार्य को यथाशीघ्र सुनिश्चित किया जाए।