आजादी के आंदोलन में मैडम भीकाजी कामा का योगदान स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जाने लायक : अरिमर्दन सिंह

झारखंड
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  • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्सव – मैडम भीकाजी कामा’ विषय पर  वेबिनार

रांची। भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में शुक्रवार को पत्र सूचना कार्यालय, रांची, प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो, रांची और क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो, दुमका एवं गुमला के संयुक्त तत्वावधान में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता मैडम भीकाजी कामा की पुण्यतिथि पर वेबिनार का आयोजन किया गया।

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पत्र सूचना कार्यालय, रांची एवं प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो के अपर महानिदेशक अरिमर्दन सिंह ने कहा कि मैडम भीकाजी कामा की पुण्यतिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं। मैडम भीकाजी कामा का जीवन वृतांत हमें बताता है कि किस प्रकार उन्‍होंने भारत की आजादी के आंदोलन को शक्ति प्रदान करने के लिए तन, मन, धन से अपने आप को न्योछावर कर रखा था। मैडम कामा जैसी महान महिलाओं का ही योगदान है कि देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ ।

विषय प्रवेश कराते हुए क्षेत्रीय प्रचार कार्यालय, गुमला की क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्रीमती महविश रहमान ने कहा कि आज हम लोग यहां एक ऐसी महान महिला स्वतंत्रा सेनानी को याद करने के लिए जमा हुए हैं, जिनका भारत  के स्वाधीनता आंदोलन में योगदान नई पीढ़ी के लिए निश्चित ही प्रेरणादायक संस्मरण होगा।

पुणे कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एवं कॉमर्स के इतिहास संकाय के प्रमुख सहायक प्राध्यापक डॉ जोहैब  हसन ने कहा कि मैडम कामा विलक्षण प्रतिभाओं से परिपूर्ण महिला स्वाधीनता सेनानी थीं। उन्‍होंने अपने जीवन का एक लंबा समय विदेश में बिताया। वहीं से लगातार वह स्वाधीनता आंदोलन को बल देती रहीं। जर्मनी में आयोजित सेकंड सोशलिस्ट कांग्रेस के दौरान उन्होंने अपने हाथ से बना भारत का झंडा फहराया। यह झंडा आज भी पुणे के बाल गंगाधर तिलक संग्रहालय में मौजूद है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सीएमपी पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग के मध्यकालीन संकाय सहायक प्रोफेसर डॉ नीरज कुमार सिंह ने कहा कि विलक्षण प्रतिभाओं वाली माता भीकाजी कामा लगभग 34 वर्ष विदेशी भूमि पर रह कर भारत की आजादी के लिए संघर्ष करती रहीं। वह कहती थीं कि उनकी शादी उनके उद्देश्य से हो चुकी है। विदेश में लोग उन्हें एक नई जॉन ऑफ आर्क के रूप में याद करते हैं, जबकि दूसरी ओर भारत में मां काली की एक अवतार के रूप में देखा गया।

वेबिनार का लाइव प्रसारण यू-ट्यूब पर भी किया गया एवं प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट भी दिया गया। वेबिनार का समन्वय क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी शाहिद रहमान ने किया। इसमें विशेषज्ञों के अलावा शोधार्थी, छात्र, पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों और दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकार एवं सदस्य, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए।