लंदन और बहरीन भेजा गया गुजरात व पश्चिम बंगाल का ‘ड्रैगन’

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नई दिल्ली। गुजरात और पश्चिम बंगाल का ‘ड्रैगन’ लंदन और बहरानी भेजा गया। यह फाइबर और खनिज से समृद्ध है। इसे पहली बार यहां भेजा गया। ड्रैगन फ्रूट को भारत में कमलम भी कहा जाता है।

लंदन भेजा गया विदेशी फलों की खेप गुजरात के कच्छ क्षेत्र के किसानों से प्राप्त किया गया। गुजरात के भरूच में एपीडा पंजीकृत पैक हाउस द्वारा निर्यात किया गया।  बहरीन को निर्यात किए गए ड्रैगन फ्रूट की खेप को पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर के किसानों से प्राप्त किया गया। कोलकाता में एपीडा पंजीकृत उद्यमों द्वारा निर्यात किया गया।

इससे पहले जून, 2021 में ‘ड्रैगन फ्रूट’ की एक खेप को महाराष्ट्र के सांगली जिले के तडासर गांव के किसानों से प्राप्त किया गया था। उसे एपीडा से मान्यता प्राप्त निर्यातक द्वारा दुबई भेजा गया था।

भारत में ‘ड्रैगन फ्रूट’ का उत्पादन 1990 के दशक की शुरुआत में किया गया था। इसे घरेलू उद्यानों के रूप में उगाया जाने लगा। ‘ड्रैगन फ्रूट’ का निर्यात मूल्य अधिक होने के कारण हाल के वर्षों में देश में इसकी काफी लोकप्रियता काफी बढ़ी है। विभिन्न राज्यों के किसानों द्वारा इसे खेती के रूप में शुरू किया जाने लगा है।

ड्रैगन फ्रूट की मुख्य रूप से तीन किस्में होती है। गुलाबी परत के साथ सफेद गूदा वाला फल, गुलाबी परत के साथ लाल गूदा वाला फलऔर पीलीपरत के साथ सफेद गूदा वाला फल। हालांकि, आम तौर पर उपभोक्ताओं द्वारा लाल और सफेद गूदा वाला फलपसंद किया जाता है।

वर्तमान समय में ड्रैगन फ्रूट की पैदावार अधिकांश रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में की जाती है। पश्चिम बंगाल नया राज्य है, जो इस विदेशी फल की खेती करने लगा है।

ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हाइलोसेरेसुंडाटस है। ड्रैगन फूट की पैदावार प्रमुख रूप से मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम जैसे देशों में की जाती है। ये देश भारतीय ड्रैगन फ्रूट के लिए प्रमुख प्रतिस्पर्धी देश हैं।

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए पानी की आवश्यकता कम होती है। इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है। फल में फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इस फल की विशेषता है कि यह किसी व्यक्ति में तनाव के कारण क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं की मरम्मत और शरीर में आई सूजन में कमी लाने और पाचन तंत्र में सुधार करने में सहायक होता है। चूंकि इस फल में कमल के समान स्पाइक्स और पंखुड़ियां होती हैं, इसलिए इसे ‘कमलम’ भी कहा जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी पर जुलाई, 2020 में अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में गुजरात के शुष्क क्षेत्र कच्छ में ड्रैगन फ्रूट की खेती का उल्लेख किया था। उन्होंने भारत को उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए फलों की खेती करने के लिए कच्छ के किसानों को बधाई भी दी थी। प्रधानमंत्री का सपना तब साकार हो गया, जब ब्रिटेन और बहरीन को फल का निर्यात किया जाने लगा।

एपीडा द्वारा ड्रैगन फ्रूटके निर्यात को अन्य यूरोपीय देशों को करने की कोशिश की जा रही है जिससे किसानों को उनके उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त हो सके।

एपीडा द्वारा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत संरचनाओं का विकास, गुणवत्ता विकास और बाजार के विकास पर बल दिया जाता है। इसके अलावा, वाणिज्य विभाग विभिन्न योजनाओं जैसे निर्यात योजना के लिए व्यापार बुनियादी संरचना, बाजार पहुंच पहल आदि के माध्यम से निर्यात को भी समर्थन प्रदान करता है।