वीआईटी बना टाटा स्टील ने मैटेरियलनेक्स्ट प्रोग्राम के दूसरे संस्करण का विजेता

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  • तीन टीमों ने अपने विचारों के सफल प्रदर्शन के लिए एक-एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार जीता

चेन्नई। वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी), वेल्लोर की टीम टाइटन्सने टाटा स्टील मैटेरियलनेक्स्टप्रोग्राम का दूसरा संस्करण जीत लिया। यह टीम ने हड्डियों के दोषों के पुनर्निर्माण के लिए टीआई6एएल4वी इम्प्लांटका एक अभिनव समाधान और प्रोटोटाइप बनाया। ग्रैंड फिनाले 9 जुलाई, 2021 को एक ऑनलाइन कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। टीम टाइटन्स में पर्लिन हमीद, अंशीद ए रहीम, जिशिता आर और अश्विन शामिल थे। इस टीम को 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिला। वीआईटी वेल्लोर की प्रोफेसर डॉ गीता मणिवासगम इस टीम की मेंटर थीं।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), बैंगलोर के टीम चेंजमेकर्स ने शेप मेमोरी पॉलीमर कंपोजिट का उपयोग कर बायोएब्जॉर्बेबल और डिप्लॉयबल बाइलरी स्टेंट के प्रोटोटाइप बनाए और उन्हें इस वर्ष का रनर-अप घोषित किया गया। सास्वत चौधरी और ऋषभ सोनी की इस टीम को 2.5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिला। आईआईएससी बैंगलोर के प्रोफेसर डॉ कौशिक चटर्जी और एस्टर हॉस्पीटल, बैंगलोर से क्लिनिकल लीड डॉ सोनल अस्थाना इस टीम के मेंटर थे।

इस मौके पर डॉ देबाशीष भट्टाचार्जी (वाईस प्रेसिडेंट, टेक्नोलॉजी ऐंड न्यू मैटेरियल बिजनेस, टाटा स्टील) ने कहा, ‘टाटा स्टील में हमारा दृढ़ विश्वास है कि प्रक्रियाओं, उत्पादों और समग्र स्टेकहोल्डर अनुभव को बदलने की दिशा में इनोवेशनएक बुनियादी कदम है। ज्ञान तेजी से वितरित हो रहा है, जो सस्टेनेबिलिटी और मार्केट लीडरशिप को संचालित करने के लिए व्यापक होते इकोसिस्टम का लाभ उठाना कॉरपोरेट्स के लिए अनिवार्य बनाता है। मैटेरियलनेक्स्टएक खुला इनोवेटिव प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य गतिशीलता, स्वास्थ्य सेवा, निर्माण सामग्री और औद्योगिक उपकरणों के साथ-साथ सर्कुलर इकोनॉमी के क्षेत्रों में उद्यमिता और नवाचार को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना है। समाज और पर्यावरण की मदद करने वाले नए उत्पादों के प्रति हम मैटेरियलनेक्स्टके दूसरे संस्करण की विजेता टीमों को उनके भावी दृष्टिकोण के लिए बधाई देते हैं।

शीर्ष पांच में शेष तीन टीमों ने अपने विचारों के सफल प्रदर्शन के लिए एक-एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार जीता। आईआईएससी बैंगलोर की टीम में बायोमैटेरियल्समें प्रीतिरंजन मंडल, अभिषेक कुमार सिंह, डॉ सुषमा कुमारी, डॉ पद्मावती नागराजन शामिल थे। आईआईएससी बैंगलोर के प्रोफेसर डॉ कौशिक चटर्जी इस टीम के मेंटर थे। टीम  ने कार्यात्मक ग्रैफेन क्वांटम डॉट्स (जीक्यूडी)का उपयोग कर एंटीमाइक्रोबियल पेंट्स और कोटिंग्स के अपने आइडिया पर काम किया।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) गुवाहाटी की टीम-7’ में अपर्णा ज़गाबाथुनी, अर्नब दत्ता, किशोर कुमार पाडी शामिल थे और आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डॉ. एस. कनगराज इस टीम के मेंटर थे। टीम ने  ने पैर के विकारों के लिए ओरिगेमी-इंस्पायर्ड मेटामैटेरियल कम्पोजिट ऑर्थोटिक इन्सोल के अपने आइडिया पर काम किया। आईआईटी गुवाहाटी और आईआईटी गांधीनगर की टीम टीम कोलैबोरेटिव रिसर्चमें मिताली बसाक और शिरसेन्दु मित्रा शामिल थे और आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डॉ. पार्थ सारथी गूह पट्टादार इस टीम के मेंटर थे। इस टीम ने मानव मूत्र में कीटोन्स और ग्लूकोज के कलरीमेट्रिक क्वांटीफिकेशन के लिए डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक-आधारित पोर्टेबल डिवाइस के अपने विचार को दर्शाया।

’’मैटेरियलनेक्स्ट 2.0’’ में दो ट्रैक थे, पहला इच्छुक पंजीकृत पीजी व पीएचडी के विद्यार्थियों तथा पूरे भारत से शैक्षणिक/अनुसंधान केंद्रों के शोधकर्ताओं के लिए था और दूसरा, सीड या सीरीज़ ए फंडिंग लेवल में इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप के लिए था। प्रतिभागी टीमों के बीच अगले स्तर के परियोजना विकास हेतू नकद पुरस्कार, परामर्श और अनुदान के लिए प्रतिस्पर्धा हुई।

इस वर्ष, प्रोग्राम के लिए 250 टीमों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से अंतिम 91 सक्रिय विचारों (रिसर्च ट्रैक में 68 और स्टार्टअप ट्रैक में 23) का चयन किया गया। दो चरणों की चयन प्रक्रिया के बाद, 2-3 महीनों के लिए एक गाइडेड आइडिया डेवलपमेंट के लिए शीर्ष के 15 विचारों (13 रिसर्च ट्रैक में और 2 स्टार्टअप ट्रैक में) को चुना गया। विचार विकास/प्रदर्शन चरण के दौरान, सभी टीमों को टाटा स्टील (डॉ. सुधाकर आर मरूर, डॉ. अमर एन भगत, एमसी थॉमस, किंग्शुक पोद्दार) के इंडस्ट्री स्पेशलिस्ट और चैलेंज एरिया ओनर्स और संबंधित चैलेंज एरिया में आईआईटी, एनआईटी व आईआईएससी के विषय विशेषज्ञों (प्रो. कांतेश बलानी, प्रो. निखिल सिंघा, प्रो. चेन्ना आर बोरा, प्रो. बंकिम सी रे, प्रो. सौमेन मंडल, प्रो. सूर्यसारथी बोस) से सहक्रियात्मक परामर्श सत्र मिला। इनके अलावा, प्रत्येक टीम को स्थानीय संस्थान के कम-से-कम एक मेंटर के साथ भी टैग किया गया था। गतिविधि अनुमानों के अनुसार टीमों को खर्च के लिए छोटे राजस्व व्यय निधियों (स्माल रेवेन्यू एक्सपेंडीचर फंड्स) के साथ भी सहायता प्रदान की गयी।

ग्रैंड फिनाले जूरी में डॉ. टाटा नरसिंह राव, डायरेक्टर, एआरसीआई हैदराबाद; डॉ. देबाशीष भट्टाचार्जी, वाईस प्रेसिडेंट, टेक्नोलॉजी ऐंड न्यू मैटेरियल बिजनेस, टाटा स्टील; श्री रवि अरोड़ा, वाइस प्रेसिडेंट, इनोवेशन प्रोग्राम, टाटा संस शामिल थे।

मैटेरियलनेक्स्टएक ओपन इनोवेशन इवेंट के रूप में प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान केंद्रों और नये विचारों के लिए एक कैंचमेंट एरिया के रूप में इन संस्थानों में प्रारंभिक चरण के डीप-टेक स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन स्थानों पर केंद्रित है, जिन्हें बाद में प्रौद्योगिकी उद्यमिता के लिए टीएसएएमआरसी (टाटा स्टील एडवांस्ड मैटेरियल्स रिसर्च सेंटर) के माध्यम से अपनाया किया जाता है। मैटेरियलनेक्स्ट प्लेटफॉर्म से चयनित विचारों यानी आइडियाओं को सहयोगात्मक व प्रयोगात्मक मार्गों के माध्यम से उच्च टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल (टीआरएल) तक ले जाया जाता है और फिर इसे अन्य भागीदारों के साथ आंतरिक व्यावसायिक इकाइयों द्वारा व्यावसायीकरण के लिए आगे बढ़ाया जाएगा।

‘‘मैटेरियलनेक्स्ट प्रोग्राम’’ 28 दिसंबर, 2020 को श्री रतन एन टाटा, चेयरमैन टाटा ट्रस्ट्स और एमेरिटस टाटा संस के जन्मदिन के अवसर पर शुरू किया गया था। इस पहल का दूसरा संस्करण टाटा स्टील के एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप में पूरे भारत में लॉन्च किया गया था और यह चार प्रमुख विषयों/चुनौतियों यथा – फाइबर रिइन्फोर्स्ड कंपोजिट, नोवेल कोटिंग्स, अर्बन माइनिंग और मेडिकल मैटेरियल्स पर आधारित था।

टाटा स्टील में एडवांस्ड मैटेरियल में अनुसंधान करना एक सक्रिय प्रक्रिया है। नैनो टेक्नोलॉजी में काम लगभग एक दशक पहले शुरू हुआ था। कंपनी ने जमशेदपुर में ग्राफीन सेंटर के उद्घाटन के साथ 2016 में ग्राफीन इनिशिएटिव की शुरुआत की। 2018 तक भारत में टाटा स्टील ने भी कंपोजिट और सिरेमिक पर ध्यान केंद्रित करते हुए न्यू मैटेरियल्स बिजनेस डिवीजन के उद्घाटन के साथ स्टील और मैटेरियल बिजनेस में एक टेक्नोलॉजी लीडर बनने की यात्रा शुरू की।

वित्त वर्ष 2017 के दौरान दो टाटा स्टील एडवांस्ड मैटेरियल्स रिसर्च सेंटर स्थापित किए गए। पहला चेन्नई में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास (आईआईटीएम) के सहयोग से और दूसरा बेंगलुरु में सेंटर फॉर नैनो ऐंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) के सहयोग से स्थापित किया गया। इन केंद्रों का उद्देश्य एडवांस्ड मैटेरियल रिसर्च और इसके अनुप्रयोगों के पोर्टफोलियो को मजबूत करने के लिए अकादमिक और अन्य विशेषज्ञता केंद्रों के साथ मिल कर काम करना है।