सालों भर की जा सकती है मशरूम की खेती, बीएयू में मिल रहा बीज

कृषि झारखंड
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रांची। मशरूम की खेती सालों भर की जा सकती है। इससे हजारों रुपये की आमदनी की जा सकती है। इसका स्पॉन (बीज) राजधानी रांची से सटे कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मशरूम उत्पादन इकाई में उपलब्ध है।

प्रदेश के काफी लोग मशरूम उत्पादन को व्यवसाय के रूप चला रहे है। मशरूम की खेती इकाई प्रभारी डॉ नरेंद्र कुदादा ने बताया कि मशरूम की खेती साधारण हवादार कमरा, ग्रीन हाउस, गैरेज, बंद बरामदा, पोलीथिन के घर या छप्परों या कच्चे घरों में की जाती है। मशरूम उत्पादन के लिए अनाज (गेहूं, धान एवं मकई आदि) के दानों से बने उच्च गुणों वाले प्रमाणित बीज (स्पॉन) का ही व्यवहार करना चाहिए। केंद्र द्वारा सालों भर विभिन्न प्रजातियों के मशरूम के क्वालिटी युक्त स्पॉन (बीज) का उत्पादन किया जाता है। इसकी पूरे प्रदेश में काफी मांग है।

डॉ कुदादा ने बताया कि इस समय केद्र में समशीतोष्ण कालीन वायस्टर (ढिंगरी) या प्लूरोट्स मशरूम और ग्रीष्मकालीन सफेद दूधिया मशरूम का स्पॉन (बीज) उपलब्ध है। इसे विवि परिसर स्थित इकाई में 30 रुपये प्रति 300 ग्राम (एक बोतल) की दर पर उपलब्‍ध है। केंद्र में मशरूम उत्पादन का 3 दिवसीय प्रशिक्षण 900 रुपये एवं 7 दिवसीय प्रशिक्षण 1,500 रुपये एवं स्पॉन (बीज) उत्पादन का 15 दिवसीय प्रशिक्षण 10 हजार रुपये पर दि‍या जाता है। प्रशिक्षण एवं स्पॉन (बीज) के लिए मोबाइल संख्या 9934270068/7631127335 पर विस्तृत जानकारी हासिल की जा सकती है।

कृत्रिम मशरूम घर में किसी भी प्रजाति के मशरूम की खेती किसी भी समय की जा सकती है। झारखंड के किसानों एवं उत्पादकों के लिए सामान्य कमरे के तापक्रम पर ढिंगरी (प्लूरोट्स) की खेती वर्ष के अधिकांश समय (9-10 माह) में की जा सकती है।

वायस्टर (ढिंगरी) या प्लूरोट्स मशरूम की खेती के लिए जुलाई से फरवरी महीना तक उपयुक्त होता है। इसे 20-25 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम में उगाया जाता है। इसकी खेती के लिए सामग्रियों में धान के पुआल की कुट्टी (आकार 1 – 1.5 इंच) या गेहूं का भूसा, स्पॉन (बीज), पॉलिथीन की थैली (बैग) (आकार 60 X 40 से. मी.), फफूंदनाशी एवं फार्मलिन की आवश्यकता होती है। प्रति किलोग्राम सूखे पुआल/भूसे से लगभग 0.8 -1 किलोग्राम ताजा मशरूम का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। सफेद दूधिया मशरूम (दूध छत्ता) की खेती अप्रैल से सितम्बर महीने तक की जा सकती है। इसे धान के पुआल की कुट्टी पर उगाया जा सकता है। इसकी खेती में 18-20 दिनों तक 25-35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान और 80-85 प्रतिशत नमी बनाए रखनी होती है। 25-30 दिनों में मशरूम की उपज मिल जाती है।