बच्चों पर कोरोना के प्रभाव को लेकर मंत्री सहित विधायकों ने रखें विचार

झारखंड
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  • यूनिसेफ और पीडीएजी ने किया बेविनार का आयोजन

रांची। झारखंड में बच्चों पर कोरोना के पड़ने वाले प्रभाव को लेकर यूनिसेफ एवं पॉलिसी डेवलपमेंट एडवाइजरी ग्रुप (पीडीएजी) द्वारा 2 जून को ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें महिला, बाल विकास एवं समाज कल्याण विभाग की मंत्री जोबा माझी एवं झारखंड विधानसभा के 10 विधायकों ने भाग लिया। कोरोना के बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव एवं उसके समाधान को लेकर विचार-विमर्श किया।

इस अवसर पर यूनिसेफ झारखंड के प्रमुख प्रसांत दाश ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के कारण बहुत सारे बच्चों ने या तो अपने माता-पिता में से किसी एक या दोनों को खो दिया है। इसके कारण उनकी शिक्षा एवं मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए हमने विधायकों के साथ वर्चुअल वेबिनार का आयोजन किया, ताकि बच्चों के संरक्षण एवं भलाई को सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई को सुनिश्चित किया जा सके। कोविड के कारण स्वास्थ्य प्रणाली बुरे तरीके से प्रभावित हुई है। हालांकि, कोविड मामले में कमी आ रही है, लेकिन हमें सावधानी बरतने की जरूरत है। इस पर विचार करने की जरूरत है कि हम बच्चों की जिंदगी को कैसे सुरक्षित बना सकते हैं। आवश्यक स्वास्थ्य सेवा को तुरंत पटरी पर लाने की जरूरत है, ताकि जरूरतमंद बच्चों एवं महिलाओं को आवश्यक इलाज सुविधा मुहैया कराया जा सके। मुझे पूरा विश्वास है कि झारखंड के मुख्यमंत्री एवं मंत्री जोबा के नेतृत्व में विधायकों के सहयोग से झारखंड के बच्चों की भलाई और जीवन केी बेहतरी को सुनिश्चित किया जाएगा।

मंत्री जोबा माझी ने कहा कि बच्चे हमारी प्राथमिकता में हैं। सरकार उनके कल्याण एवं सुरक्षा के लिए कटिबद्ध है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोविड की दूसरी लहर ने बच्चों को बुरी तरह प्रभावित किया है। हमें इन बच्चों की भलाई के लिए काम करने की जरूरत है। मैंने विधायकों से अनुरोध किया है कि वे शेल्टर होम की स्थिति की निगरानी करें। चाइल्ड लाइन नंबर-1098 और सरकार द्वारा जारी नंबर-181 के बारे में जागरुकता पैदा करें।

झरिया विधायक श्रीमति पूर्णिमा सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में एक वैन मुहैया कराया है, ताकि कोरोना टीकाकरण को लेकर लोगों को जागरूक किया जा सके। प्रभावित बच्चों के आंकड़े जुटाए जा सकें। उन्होंने कमजोर एवं वंचित बच्चों के हित में इस प्रकार के बैठक के नियमित आयोजन की आवश्यकता पर भी बल दिया।

जामताड़ा विधायक डॉ इरफान अंसारी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों के लिए एक अलग वार्ड के बारे में योजना बनाकर उसे कार्यरूप में उतारा जाए, ताकि बच्चों को उचित चिकित्सा प्राप्त हो सके। इस तरह के शिशु कोविड वार्ड सभी जिलों में स्थापित किए जा सकते हैं, ताकि बच्चों को सही चिकित्सा मुहैया कराया जा सके।

जामा विधायक श्रीमति सीता सोरेन, गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार, खि‍जरी विधायक राजेश कच्छप, पोटका के विधायक संजीव सरदार, मझगांव के विधायक निरल पूर्ति और बेरमो के विधायक अनूप सिंह ने भी भाग लिया। अपने विचार रखें।

यूनिसेफ झारखंड की कम्यूनिकेशन ऑफिसर आस्था अलंग ने कहा कि हमें अनाथ बच्चों को गोद लेने को लेकर भ्रामक सूचनाओं को रोकने एवं इसके स्थान पर बच्चों को गोद लेने को लेकर सही प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी लोगों तक पहुंचान की जरूरत है।

यूनिसेफ झारखंड की बाल संरक्षण विशेषज्ञ, प्रीति श्रीवास्तव ने कोविड के कारण प्रभावित बच्चों की सुरक्षा उपायों को लेकर एक प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि बाल मित्र निर्वाचन क्षेत्रों की स्थापना जैसी पहल के माध्यम से जहां सभी बच्चों का ख्याल रखा जा सकेगा। उनकी शिक्षा, सुरक्षा तथा भलाई को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।

यूनिसेफ झारखंड के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ राहुल कापसे ने कहा कि इस महामारी में बच्चे एवं माता-पिता दोनों डरे हुए और चिंतित हैं। हमें उनकी चिंताओं को उनके दिमाग से दूर करने की जरूरत है। कोविड उचित व्यवहार जैसे कि- मास्क पहनना, 2 गज दूरी का पालन करना और साबुन से हाथ धोने जैसे अभ्यासों के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।